कोरोना वैक्सीन के ट्रायल का डेटा जारी करने की मांग, SC का केंद्र को नोटिस

कोरोना वैक्सीन के ट्रायल का डेटा जारी करने की मांग, SC का केंद्र को नोटिस
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्ली
ने उस याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है जिसमें कहा गया है कि वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल का डेटा सार्वजनिक किया जाए। इस याचिका में वैक्सीनेशन के बाद के उसके प्रभाव का डेटा भी पब्लिक करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में ये भी कहा गया है कि सरकार वैक्सीनेशन को अनिवार्य बनाने के लिए सर्विस रोकने की शर्त लगा रही है जिसे रोका जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, आईसीएमआर और ड्रग्स कंट्रोलर को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को भी जवाब देने को कहा है। अदालत ने चार हफ्ते में प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि वैक्सीन के प्रभाव और क्लिनिकल ट्रायल का मामला अर्जी में उठाया गया है जो बेहद अहम है। क्लिनिकल ट्रायल और वैक्सीन प्रभाव का डेटा सार्वजनिक किया जाना आईसीएमआर के नियम के तहत जरूरी है।

बेंच ने कहा कि अगर वैक्सीनेशन प्रक्रिया को इस स्टेज पर जांच के दायरे में लाया जाएगा तो फिर लोगों के मन में इसको लेकर संदेह होगा, जो 50 करोड़ लोग वैक्सीन ले चुके हैं उनके मन में वैक्सीनेशन को लेकर संदेह और दुविधा पैदा होगी। इस दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि याचिकाकर्ता वैक्सीनेशन के खिलाफ नहीं है और न ही याचिका उसके खिलाफ है। बल्कि क्लिनिकल ट्रायल और वैक्सीनेशन के बाद के प्रभाव को पब्लिक करना जरूरी है क्योंकि ये आईसीएमआर का नियम कहता है।

भूषण ने कहा, ‘पहली बार भारतीय इतिहास मेंं इमर्जेंसी वैक्सीनेशन हो रहा है। इसके लिए पहले से पूरा वैक्सीनेशन ट्रायल नहीं हो पाया था। कम से कम पारदर्शिता रखी जाना चाहिए, ये उनका ही नियम है। हम इसे रोकने की बात नहीं कर रहे हैं। अगर ऐसा नहीं किया गया तो लोगों को ज्यादा संदेह होगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार वैक्सीनेशन को अनिवार्य करने और नहीं लेने वालों की सेवा रोकने की बात कर रही है। यह व्यक्तिगत स्वायत्तता के खिलाफ है।’

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि आप (याची) व्यक्तिगत स्वायत्तता को व्यापक लोकहित के ऊपर ला रहे हैं। अगर एक का भी वैक्सीनेशन नहीं हुआ तो कोई सेफ नहीं होगा। इस दौरान वैक्सीेनेशन को अनिवार्य किए जाने से रोकने के लिए याची ने अंतरिम रिलीफ की मांग की तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मौके पर कुछ नहीं कहना चाहते हैं। हम मामले को परीक्षण कर रहे हैं। वैक्सीनेशन जारी रहेगा और हम उसे नहीं रोकना चाहते।

सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल और वैक्सिनेशन के बाद रिएक्शन व प्रभाव के डेटा के मामले में पारदर्शिता की गुहार लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट में टीकाकरण के राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार ग्रुप के पूर्व मेंबर जैकब पुलियेल की ओर से अर्जी दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के साथ-साथ वैक्सीनेशन के प्रभाव के बारे में डेटा पब्लिक किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर टीकाकरण के प्रभाव के बारे में डिटेल पब्लिक करने के लिए केंंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि जो भी प्रतिकूल प्रभाव का डेटा है उसे टोल फ्री नंबर पर लोगों को बताया जो। साथ ही ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि अगर कोई टीकाकरण करवा रहा है और प्रतिकूल प्रभाव हुआ है तो वह इस बारे में शिकायत कर सके।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.