'जिन प्रवासी मजदूरों के पास पहचान पत्र नहीं, उन तक कैसे पहुंचेगी सरकारी स्कीम?'

'जिन प्रवासी मजदूरों के पास पहचान पत्र नहीं, उन तक कैसे पहुंचेगी सरकारी स्कीम?'
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नई दिल्ली
ने कहा है कि हमारी चिंता ये है कि जिन प्रवासी मजदूरों के पास पहचान पत्र नहीं है, उन्हें भी सरकारी बेनिफिट स्कीम का लाभ मिल सके। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि ‘वन नेशन, वन कार्ड’ की योजना को लागू करें। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा था कि देश भर के प्रत्येक राज्यों में प्रवासी मजदूरों के लिए कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की जाए।

अदालत ने कहा कि ये देश भर के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है कि जो अपनी नौकरी गंवा चुके हैं, उनके लिए दोनों वक्त के खाने की व्यवस्था करे। प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन का काम जल्द से जल्द पूरा करने का भी निर्देश दिया था। कोविड के कारण प्रवासी मजदूरों के ट्रांसपोर्टेशन से लेकर तमाम समस्याओं के मामले में संज्ञान लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है और मामले में ऑर्डर रिजर्व कर लिया है।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शुक्रवार को अदालत ने कहा कि मामले मं कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी सभी राज्य वन नेशन वन कार्ड की योजना को लागू करें। सुनवाई के दौरान प्रवासी मजदूरों का मामला सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने उठाया और कहा कि कई प्रवासी मजदूर रजिस्टर्ड नहीं हैं और इस कारण उन्हें सरकारी बेनिफिट का लाभ नहीं मिल पा रहा है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया था कि मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल बनाया जाए लेकिन अभी तक डेटा नहीं है। जबकि स्थिति और खराब हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जो मजदूर रजिस्टर्ड नहीं हैं उनके लिए सरकार के पास क्या योजनाएं हैं। तब सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पीएम गरीब कल्याण योजना को नवंबर तक लागू कर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी सिर्फ इतनी चिंता है कि जिन मजदूरों के पास कोई भी पहचान पत्र नहीं है, उनको योजनाओं का लाभ मिले। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि नैशनल डाटाबेस की क्या स्थिति है। आपके डाटा बेस का क्या हुआ। आपका प्रोजेक्ट क्या है। इतने महीने क्यों लग रहे हैं। बहरहाल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर रिजर्व कर लिया है।

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रवासी मजदूरों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया काफी धीमी है । रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया निश्चित तौर पर तेज किया जाए ताकि कोविड के समय इन प्रवासी मजदूरों को बेनिफिट वाली योजनाओं का लाभ मिल सके। अदालत ने कहा था कि प्रवासी मजदूरों और गैर-संगठित क्षेत्रों के मजदूरों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया तेज की जाए। रजिस्ट्रेशन के बाद ही अथॉरिटी से उनकी पहचान सुनिश्चित होगी और उन्हें तमाम बेनिफिट योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि जो भी बेनिफिशियरी है, उसतक स्कीम का लाभ मिले, इसमें प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं। अदालत ने कहा था। कि रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को मॉनिटर करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों को खाद्य सुरक्षा मिले। उन्हें कैश ट्रांसफर का लाभ मिले साथ ही उनके गणतव्य तक पहुंचाने के लिए उन्हें ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं दी जाए। साथ ही देश के तमाम हिस्सों में कोविड के कारण प्रभावित हुए मजदूरों को तमाम सरकारी बेनिफिट का लाभ मिले। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से कहा था कि गैर संगठित क्षेत्र के मजदूरों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जल्द पूरा किया जाए।

साभार : नवभारत टाइम्स

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