इटालियन मरीन की फायरिंग में मारे गए थे मछुआरे, 10 करोड़ मुआवजे पर 15 जून को सुप्रीम कोर्ट में फैसला

इटालियन मरीन की फायरिंग में मारे गए थे मछुआरे, 10 करोड़ मुआवजे पर 15 जून को सुप्रीम कोर्ट में फैसला
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नई दिल्ली
द्वारा मारे गए दो भारतीय मछुआरों को 10 करोड़ मुआवजा की राशि वितरित करने के बारे में 15 जून को आदेश पारित करेगी। दोनों मछुआरे फरवरी 2012 में मारे गए थे। इटालियन मरीन पर इटली में ही केस चल रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि वह केरल हाई कोर्ट से कह सकते हैं कि मुआवजे की राशि मृतक के उत्तराधिकारियों में सही तरह से वितरित किया जाए। भारत में इटालियन मरीन के खिलाफ पेंडिंग केस को भी खारिज करने से संबंधित मामले में पारित हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल को इटालियन मरीन द्वारा केरल में मछुआरों की हत्या मामले में मृतक के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे की रकम केंद्र सरकार से जमा करने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि केंद्र सरकार की अर्जी पर सुनवाई से पहले केंद्र इटली द्वारा दिए गए मुआवजे की रकम सुप्रीम कोर्ट अकाउंट में डिपॉजिट करे और सुप्रीम कोर्ट मछुआरे के परिजनों को वह पैसा रिलीज करेगी। अदालत ने ये भी कहा था कि मुआवजे की रकम जमा होने के एक हफ्ते बाद सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार की उस अर्जी पर सुनवाई करेगा, जिसमें केंद्र ने कहा है कि इटालियन मरीन्स के खिलाफ पेंडिंग केस बंद किया जाए।

पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मृतक के परिजन 10 करोड़ मुआवजा राशि के लिए तैयार हैं। भारत सरकार ने पीड़ित की ओर से इटालियन सरकार से बात की और वह इस रकम के लिए तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट को सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि भारतीय मोलभाव में काफी बेहतर हैं और हमने विक्टिम के लिए इटालियन सरकार से बात की और वह इस रकम के लिए तैयार हैं। केरल सरकार ने भी विदेश सचिव से कहा है कि विक्टिम परिवार इस मुआवजे की रकम के लिए तैयार है।

मेहता ने कहा था कि क्रिमिनल केस इंटरनैशनल कोर्ट में पेंडिंग है और इंटरनैशनल ट्रिब्यूनल का फैसला अगर स्वीकार किया जाता है तो ट्रायल कोर्ट का जूरिडिक्शन नहीं बनेगा। लेकिन केस सुप्रीम कोर्ट ही बंद कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि वह मृतक के परिजनों को सुने बिना केस बंद नहीं करेंगे और उन्हें पर्याप्त मुआवजा भी दिया जाना चाहिए।

साभार : नवभारत टाइम्स

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