गंगा में बहते शवों का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट,नदी में तैरते शवों को हटाने की लगाई गुहार

गंगा में बहते शवों का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट,नदी में तैरते शवों को हटाने की लगाई गुहार
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नई दिल्ली
कोविड के दौरान गंगा नदी में पाए जाने वाले शवों को हटाने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने का निर्देश देने की सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि केंद्र सरकार के साथ-साथ चार राज्यों जिसमें यूपी और बिहार शामिल हैं, उन्हें निर्देश दिया जाए कि कोविड के समय गंगा नदी में बह रहे शवों को तुरंत हटाया जाए।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में यूपी और बिहार में गंगा नदी में बहते शव की रिपोर्ट का हवाला दिया गया और गुहार लगाई गई कि कोरोना वायरस से होने वाली मौत के बाद शवों को तय एसओपी के तहत अंतिम संस्कार किया जाए और उसके लए सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइंस जारी करे।
सुप्रीम कोर्ट में यूथ बार असोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा है कि राज्यों के चीफ सेक्रेटरी और जिला मैजिस्ट्रेट इस बात को सुनिश्चित करें कि कोई भी शव नदी में न फेंका जाए। ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

याचिका में कहा गया है कि ये राज्य की ड्यूटी है कि वह पीड़ितों के अधिकार को प्रोटेक्ट करे। इस अधिकार में शव के अंतिम संस्कार का अधिकार भी शामिल है। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट मंजू जेटली ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि गंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड में होता है और वह यूपी, बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल तक जाती है। इस दौरान अगर नदी में लाशें तैरेंगी तो इससे पर्यवारण को भारी नुकसान होगा और ये नैशनल मिशन फॉर क्लिन गंगा के गाइडलाइंस का भी उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया है कि अथॉरिटी को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह गंगा नदी में बहते हुए शवों को निकालें। संबंधित अथॉरिटी को निर्देश दिया जाए कि वह चौबीसों घंटे टोल फ्री हेल्पलाइन शुरू करें ताकि जो भी मृतक हैं उनके परिजन उस पर संपर्क करें और अंतिम संस्कार किया जाना सुनिश्चित हो सके। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह इस मामले में एनएचआरसी की सिफारिशों पर अमल करे इसमें शवों के निपटान का भी मामला है। सुप्रीम कोर्ट के पहले के जजमेंट हैं जिसमें कहा गया है कि किसी भी शख्स के मरने के बाद भी उसके गरिमा का आदर होना चाहिए। चाहे मौत नेचरल हो या फिर अप्राकृतिक हर स्थिति में राज्य की जिम्मेदारी है कि वह मृतक के अधिकार को प्रोटेक्ट करे।

साभार : नवभारत टाइम्स

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