बंगाल के नतीजे देख क्या पवार खड़ा कर पाएंगे थर्ड फ्रंट? BJP बोली- नहीं टिकेगा

बंगाल के नतीजे देख क्या पवार खड़ा कर पाएंगे थर्ड फ्रंट? BJP बोली- नहीं टिकेगा
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मुंबई
पश्चिम बंगाल चुनाव के नतीजों ने देश की बीजेपी विरोधी पार्टियों की ना सिर्फ इम्युनिटी को बूस्ट किया है बल्कि साथ मिलकर तीसरा मोर्चा बनाने की उनकी कोशिशों को भी बल मिला है। थर्ड फ्रंट की चाह रखने वालों के लिए कोरोना काल में पश्चिम बंगाल के नतीजे किसी संजीवनी से कम नहीं हैं। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के संयोजक और एनसीपी सुप्रीमों शरद पवार की अगुवाई में थर्ड फ्रंट की बात करने वाली शिवसेना की भी बांछें खिली हुई हैं। हालांकि शिवसेना के सांसद और प्रवक्ता अरविंद सावंत ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को बताया कि फिलहाल हमारी प्राथमिकता कोरोना महामारी के खतरे को जल्द से जल्द खत्म करना है। इसके बाद ही दूसरे किसी विषय पर बातचीत शुरू हो पाएगी।

पवार ने की थी थर्ड फ्रंट की बात
कुछ महीने पहले शरद पवार ने कहा था कि देश में अब तीसरे मोर्चे यानी थर्ड फ्रंट की जरूरत है। पवार ने तब यह भी बताया था कि देश के विभिन्न दलों से इस बाबत बातचीत भी की जा रही है। हालांकि इस मोर्चे का आकार कैसा होगा? इस पर कोई बातचीत तब नहीं हो पाई थी। हालांकि शिवसेना की तरफ से भी यह बात कही गई थी कि थर्ड फ्रंट की अगुवाई शरद पवार को करनी चाहिए। क्योंकि वे देश के सबसे सीनियर और अनुभवी नेता हैं।

बीजेपी का विकल्प सिर्फ कांग्रेस
हालांकि पांच के चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त का मुंह देखना पड़ा है। लेकिन वो तीसरे मोर्चे के पक्ष में नहीं है। वहीं महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले की माने तो कांग्रेस ही देश में बीजेपी का विकल्प है और यह बात अब लोगों को धीरे धीरे समझ में भी आने लगी है। बीजेपी ने सिर्फ देश को लूटने और बर्बाद करने का काम किया है। पटोले ने कहा कि क्षेत्रीय पार्टियां भी अपना अपना दमखम दिखाने के लिए फ्रंट बनाने की बातें करती रहती हैं लेकिन इनका कोई खास असर नहीं होता है। थर्ड फ्रंट बनाने का असफल प्रयोग देवगौड़ा भी कर चुके हैं।

थर्ड फ्रंट देश की जरूरत
महाराष्ट्र में समाजवादी के विधायक और वरिष्ठ नेता अबू आसिम आज़मी ने कहा है कि थर्ड फ्रंट बनाने का प्रयास जरूर होना चाहिए। अगर देश में नफरत फैलाने वाली बीजेपी को रोकना है तो तीसरा मोर्चा जरूरी है। इसके लिए क्षेत्रीय पार्टियों को अपने मनमुटाव भूलकर एक साथ आना होगा। थर्ड फ्रंट को लेकर सपा नेता अखिलेश यादव भी अपनी सहमति दे चुके हैं। वहीं दिल्ली के सीएम और आप नेता अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी भी पवार की इस मुहिम में शामिल होने की बात कह चुके हैं। हालांकि बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव इस मुद्दे पर अभी भी कांग्रेस के पहलू में नज़र आ रहे हैं। ऐसा ही हाल डीएमके प्रमुख एम के स्टॅलिन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख और सीएम हेमंत सोरेन का भी है।

पार्टियां तय करेंगी थर्ड फ्रंट का नेता
थर्ड फ्रंट के मुद्दे पर बात करते हुए महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि शरद पवार देश में सभी पार्टियों को एक साथ लाने का प्रयास कर रहे हैं जिससे थर्ड फ्रंट बन सके। यह सभी लोग बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए प्रयास करेंगे। इस थर्ड फ्रंट का नेता कौन होगा? यह सभी पार्टियां मिलकर तय करेंगी। शरद पवार ने पहले ही कहा है कि उन्हें नेता बनने में कोई खास दिलचस्पी नहीं है। ऐसे में ममता बनर्जी को भी मौका मिल सकता है। आपको बता दें कि शिवसेना ने शरद पवार को यूपीए के चेयरमैन बनाने की भी वकालत की थी। जिसका कांग्रेस ने जमकर विरोध किया था।

दीदी की जीत में पवार का हाथ? बीजेपी नेता कैलाश विजय वर्गीय के मुताबिक पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी को मिली अप्रत्याशित जीत के पीछे की भी हाथ है। हालांकि दीदी को पवार का समर्थन जग जाहिर है। पवार ने तमाम बीजेपी विरोधी पार्टियों से चुनाव में दीदी को मदद करने की अपील भी की थी। अब ममता बनर्जी और पवार इस मोर्चे के लिए संयुक्त प्रयास कर सकते हैं।

साभार : नवभारत टाइम्स

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