ममता की जीत से क्या बदल गए JDU के तेवर, 'अपनों पर गरम, गैरों पर नरम' का फॉर्मुला

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पटना
बंगाल के चुनावी रण में ममता बनर्जी ने जिस तरह से शानदार जीत दर्ज की है, उसका असर बिहार के सियासी गलियारे में भी देखने को मिल रहा है। चाहे विपक्षी पार्टी आरजेडी हो या फिर सत्ताधारी जेडीयू…लगभग सभी ने टीएमसी मुखिया को उनके प्रदर्शन पर बधाई दी है। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ममता बनर्जी को ट्वीट करके शुभकामनाएं दी। हालांकि, इसमें सबसे चौंकाने वाली बात जो निकलकर आई वो जेडीयू के दिग्गज नेता उपेंद्र कुशवाहा की टिप्पणी है।

पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि ममता बनर्जी ने भारी ‘चक्रव्यूह’ को तोड़कर जीत दर्ज की हैं। उनकी इस टिप्पणी के बाद सूबे में चर्चा का दौर शुरू हो गया। सवाल ये भी उठे कि उनकी इस टिप्पणी के पीछे क्या नीतीश कुमार की कोई खास प्लानिंग है? क्या जेडीयू ‘अपनों पर गरम और गैरों पर नरम’ के फॉर्मूले पर चल रही है?

ममता की जीत का बिहार की राजनीति में असरदरअसल, बंगाल चुनाव में जीत के लिए बीजेपी नेतृत्व ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत तमाम दिग्गजों ने जमकर प्रचार अभियान चलाया। हालांकि, पार्टी की उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली, उन्हें 77 सीटें ही आ सकी। वहीं ममता बनर्जी की टीएमसी ने 213 सीटें अपने नाम कर लीं। इस प्रदर्शन के बाद देशभर में सियासी दलों के नेताओं ने ममता बनर्जी को उनकी जीत के लिए बधाई दी। बिहार में भी राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन्हें शुभकामनाएं दीं।

कुशवाहा के कमेंट से शुरू हुई नई सियासी चर्चाहालांकि, इन शुभकामना संदेशों में जेडीयू नेता और नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले उपेन्द्र कुशवाहा की टिप्पणी ने कई सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘भारी चक्रव्यूह को तोड़कर पश्चिम बंगाल में फिर से शानदार जीत के लिए ममता बनर्जी आपको बहुत-बहुत बधाई।’ कुशवाहा ने इस ट्वीट में ‘चक्रव्यूह’ शब्द का प्रयोग करके कहीं न कहीं बीजेपी पर अप्रत्यक्ष तौर पर निशाना साधने की कोशिश की। ये पहली बार नहीं था जब कुशवाहा ने बीजेपी को लेकर इस तरह का कमेंट किया हो।

तो क्या ये है नीतीश की रणनीतिहाल ही में जब नीतीश सरकार के नाइट कर्फ्यू के टाइमिंग पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सवाल उठाया था तो जेडीयू के नेता उन पर टूट पड़े थे। संजय जायसवाल ने कहा था कि ‘सरकार के इस एक फैसले को समझने में असमर्थ हूं कि रात का कर्फ्यू लगाने से करोना वायरस का प्रसार कैसे बंद होगा। अगर कोरोना वायरस के प्रसार को वाकई रोकना है तो हमें हर हालत में शुक्रवार शाम से सोमवार सुबह तक लॉकडाउन करना ही होगा।’ इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा, ललन सिंह और संजय झा ने संजय जायसवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। हालांकि, इसमें सबसे खास बात रहा नीतीश कुमार का अंदाज, उन्होंने किसी भी मौके पर खुलकर बीजेपी से कुछ नहीं कहा।

नीतीश कुमार ने खुद खुलकर नहीं किया कोई कमेंटइस बार भी जब बीजेपी ने असम और पुडुचेरी में जीत दर्ज की तो नीतीश कुमार ने ट्वीट करके बधाई दी। मुख्यमंत्री ने लिखा, ‘असम में दूसरी बार और पुडुचेरी में विजय हासिल करने पर भारतीय जनता पार्टी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।’ इन सियासी घटनाक्रम को देखते हुए ये तय मान जा रहा कि नीतीश की प्लानिंग बिल्कुल जुदा है। वो ये नहीं चाहते कि सीधे तौर पर बीजेपी के खिलाफ नजर आएं। वहीं, जेडीयू के साथ-साथ जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा जरूर अपने तरीके से बातों को रख रही हैं।

जेडीयू के साथ HAM मुखिया मांझी भी दिखाते रहे हैं तेवरजीतनराम मांझी ने भी ममता बनर्जी को जीत की बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘ममता बनर्जी को जीत की बधाई। यह जीत बंगाली अस्मिता की जीत है। पुन: बहुत-बहुत बधाई।’ हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और पूर्व सीएम ने जिस तरह से ‘बंगाली अस्मिता’ का जिक्र किया, कहीं ना कहीं ये बीजेपी को घेरने की एक कवायद है। फिलहाल इस पूरे सियासी घटनाक्रम में एक बात तो साफ है कि जेडीयू-HAM और VIP तीनों पार्टियां गठबंधन में शामिल बीजेपी नेताओं के तेवर को कम करने की कोशिश में जुट गए हैं।

क्या बिहार में नजर आ सकता है नया सियासी ड्रामाऐसा इसलिए क्योंकि बिहार चुनाव के बाद से ही बीजेपी नेताओं के तेवर लगातार बदले दिख रहे थे। इस बीच बिहार में और भी कई बड़े डेवलपमेंट हो रहे हैं, जिसमें प्रमुख है आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का जेल से बाहर आना। ऐसे में क्या बिहार में आने वाले दिनों में कुछ नया सियासी खेल देखने को मिल सकता है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता।

साभार : नवभारत टाइम्स

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