सेना में कम होंगे 1 लाख जवान, सीडीएस ने संसदीय समिति से कही बड़ी बात

सेना में कम होंगे 1 लाख जवान, सीडीएस ने संसदीय समिति से कही बड़ी बात
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्ली
भारतीय सेना में आने वाले 3-4 साल में 1 लाख सैनिक कम हो जाएंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने इस लक्ष्य के बारे में संसद की स्टैंडिंग कमिटी को बताया। स्टैंडिंग कमिटी में सीडीएस जनरल रावत ने कहा कि जब जनरल वी पी मलिक आर्मी चीफ थे तब उन्होंने 50 हजार सैनिक कम करने की सोची थी। हमारा लक्ष्य अगले तीन से चार साल में करीब एक लाख सैनिक कम करने का है। जनरल रावत ने कहा कि इससे जो पैसा बचेगा उसका इस्तेमाल तकनीक को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। सरकार ने भी सेना को इस रकम के तकनीक में इस्तेमाल का आश्वासन दिया है। स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट पिछले महीने संसद में पेश की गई।

क्या है टूथ टु टेल रेशियो
भारतीय सेना में रीस्ट्रक्चरिंग (ढांचागत बदलाव) की प्रक्रिया चल रही है। जिसमें दिल्ली स्थित आर्मी हेडक्वॉर्टर से भी ऑफिसर्स को कम कर फील्ड में भेजने की योजना पर काम चल रहा है। स्टैंडिंग कमिटी को सेना के “टूथ टू नेल” रेशियो के बारे में भी बताया गया। टूथ टू टेल रेशियो सैन्य कार्रवाइयों में भाग लेने वाले और उनके लिए रसद आदि पहुंचाने वाले सैनिकों के बीच के अनुपात को कहा जाता है।

3-4 साल में एक लाख सैनिक घटाने की योजना
अगर टेल यानी सीधी सैन्य कार्रवाई में भाग न लेने वाले सैनिकों की तादाद ज्यादा होगी तो असल सैन्य कार्रवाइयों के लिए जरूरी सैनिकों की तादाद में कमी आती जाएगी। इसलिए अगर सैन्य कार्रवाइयों के लिए जरूरी सैनिकों की संख्या ज्यादा रखनी है तो टेल को कम करना होगा। टूथ टू टेल अनुपात को कैसे कम किया जाएगा, स्टैंडिंग कमिटी के इस सवाल पर सीडीएस ने मौखिक जवाब में बताया कि 3-4 साल में करीब एक लाख सैनिकों को कम करने का लक्ष्य है। यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। अभी भारतीय सेना में करीब 14 लाख सैनिक हैं।

जवानों की संख्या में कटौती का यह मकसद
सीडीएस ने स्टैंडिंग कमिटी को यह भी बताया कि हम तकनीक के ज्यादा इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं। हम ज्यादा पैदल सैनिकों (इंफ्रेंट्री सैनिकों) पर फोकस कर रहे हैं, वह ही असल में बॉर्डर की निगरानी करते हैं। हमारी प्राथमिकता उन्हें आधुनिक राइफल देना है। हम उन्हें आधुनिक सर्विलांस सिस्टम देना चाहते हैं, हम उन्हें ज्यादा सक्षम बनाने के लिए ज्यादा तकनीक देना चाहते हैं।

सीडीएस ने कहा कि हम अपने लॉजिटिस्टिक टेल को कम करने के लिए आईबीजी (इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप) कॉन्सेप्ट पर जा रहे हैं। इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप छोटी छोटी टुकड़ियां होंगी जिनमें युद्ध करने की क्षमता होगी लेकिन इनकी लॉजिस्टिक टेल छोटी कर दी जाएगी। लॉजिस्टिक टेल को कम करने के लिए हम उसे आउटसोर्स कर देंगे। सीडीएस ने स्टैंडिंग कमिटी को उदाहरण देते हुए बताया कि जिस कंपनी की गाड़ी भारतीय सेना में इस्तेमाल की जा रही है उन्हें अपने वर्कशॉप में रिपेयर करने की बजाय कंपनी के वर्कशॉप से रिपेयर कराया जाएगा। उन्होंने साफ कहा कि हमारा ज्यादा फोकस आउटसोर्सिंग पर है।

साभार : नवभारत टाइम्स

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.