राजनाथ बोले- बॉर्डर पर चीन के खिलाफ भारत ने जो किया, आने वाली पीढ़ियों को गर्व होगा
चीन ने पैदा कर दिया अनिश्चितता का माहौल
उद्योग चैंबर फिक्की की वार्षिक आम बैठक (FICCI Annual General Meeting) को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि हिमालय की हमारी सीमाओं पर बिना किसी उकसावे के अक्रामकता दिखाती है कि दुनिया कैसे बदल रही है, मौजूदा समझौतों को कैसे चुनौती दी जा रही है। उन्होंने कहा, “और इस पृष्ठभूमि में क्षेत्र और दुनिया का भविष्य कितना अनिश्चित हो सकता है। जैसा कि आपको पता है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सशस्त्र बल की भारी तैनाती है।”
बिना उकसावे के चीन ने दिखाई आक्रामकता
उन्होंने कहा, ‘हमारे हिमालयी क्षेत्र में अकारण आक्रमकता से पता चलता है कि दुनिया किस तरह बदल रही है, किस तरह समझौते तार-तार हो रहे हैं, किस तरह न सिर्फ हिमालय बल्कि पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ताकत का प्रदर्शन किया जा रहा है और ऐसी पृष्ठभूमि में क्षेत्री का भविष्य कितना अनिश्चित हो गया है।” सिंह ने कहा, “हिमालय की हमारी सीमाओं पर बिना किसी उकसावे के अक्रामकता दिखाती है कि दुनिया कैसे बदल रही है, मौजूदा समझौतों को कैसे चुनौती दी जा रही है, केवल हिमालय में ही नहीं बल्कि हिंद-प्रशांत में भी आक्रामता दिखायी जा रही है।”
भारतीय सेना ने अनुकरणीय साहस दिखाया
रक्षा मंत्री ने कहा, “उन्होंने पीएलए (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) का पूरी बहादुरी से सामना किया और उन्हें वापस जाने को मजबूर किया। हमारे बल ने इस साल जो हासिल किया, उस पर देश की आने वाली पीढ़ियों को गर्व होगा।” सिंह ने बिना विस्तृत जानकारी दिए कहा कि भारतीय सेना ने चुनौतियों का सामना करने में अनुकरणीय साहस और उल्लेखनीय धैर्य दिखाया। उन्होंने पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर शुरुआत में दुनिया की अनदेखी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “हम सीमा पार आतंकवाद के शिकार रहे हैं। हमने यह लड़ाई तब भी अकेले लड़ी है जब किसी ने हमें समर्थन नहीं दिया था। लेकिन बाद में उन्हें समझ आ गई कि पाकिस्तान आतंकवाद की जननी है।”
भारत अब किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम
उन्होंने कहा कि भारत इतिहास में एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां उसे खुद के लिए खड़ा होना ही होगा और उसे यह बताना होगा कि देश अपने अस्तित्व के लिए किसी से भी लड़ सकता है और किसी भी चुनौती से निपट सकता है। उन्होंने कहा, “किसी भी राष्ट्र के इतिहास में एक ऐसा मोड़ आता है जब उसे कभी न कभी खुद के लिए खड़े होने की जरूरत पैदा हो जाती है। भारत भी सिर्फ अपने अस्तित्व के लिए किसी का भी सामना करने को तैयार है और किसी भी चुनौती से निपटने में पूरी तरह सक्षम भी है।”
सॉफ्टपावर में चीन से बहुत आगे है भारत
राजनाथ ने कहा कि भारत की सेना ज्यादा ताकतवर है या चीन की, यह बहस का विषय है, लेकिन सॉफ्ट पावर में भारत स्पष्ट रूप से चीन से बहुत आगे है। उन्होंने कहा, “जब भी एलएसी के हालात की बात होती है तो सबसे ज्यादा भारत और चीन की सैन्य शक्ति की तुलना की जाती है। इस बात पर बहस-मुबाहिसे हो सकते हैं कि सैन्य शक्ति के पैमाने पर कौन आगे है, लेकिन जब बात सॉफ्ट पावर की होगी तो इसमें संदेह को कोई गुंजाइश नहीं है।” उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि चीन पर बौद्ध मत का इतना ज्यादा असर था कि 1949 से पहले चीन की 80% आबादी बौद्धों की थी। उन्होंने बताया कि कैसे एक चीनी विद्वान ने कहा था कि भारत ने एक भी सैनिक भेजे बिना चीन पर 2,000 से ज्यादा वर्षों तक सांस्कृतिक दबदबा कायम रखा था।
सेना को सुसज्जित करने को आगे आए उद्योग जगत
सिंह ने सशस्त्र बलों को सही टेक्नॉलजी और उपकरण मुहैया कराने के लिए प्राइवेट कंपनियों की सहभागिता की अपील की ताकि देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ सैन्य उपकरणों का निर्यात भी किया जा सके। उन्होंने कड़कड़ाती ठंड में सीमा पर तैनात जवानों की मुश्किलों की ओर इशारा करते हुए उद्योग जगत से आह्वान किया कि वो देश की आर्थिक ताकत का इस्तेमाल कर सेना को अत्याधुनिक तकनीक और सैन्य उत्पादों से सुसज्जित करने की दिशा में उचित भागीदारी करें। उन्होंने कहा, “हमने प्राइवेट सेक्टर के लिए भी दरवाजे खोल दिए हैं। हमने घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने की नीति बनाई है। डिफेंस कॉरिडोर बना रहे हैं। इसके अलावा भी बहुत कुछ किया जा रहा है। हम दूसरे देशों के साथ लाभदायक संयुक्त उपक्रमों और भागीदारियों की संभावना भी तलाश रहे हैं।”
(भाषा से इनपुट के साथ)
साभार : नवभारत टाइम्स