आज बंद रहेंगी राज्य की 12000 दवा दुकानें
रांची : झारखंड केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन (जेसीडीए) के अध्यक्ष कृष्णा प्रधान एवं महासचिव अमर कुमार सिन्हा सोमवार को पत्रकारों से कहा कि सरकार रोज नये-नये कानून बना रही है, जिससे दवा व्यवसायी परेशान हैं.
उन्होंने कहा कि ई-पोर्टल व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है. मरीज की जान पर है और हम डाॅक्टर की परची को स्कैन करने में लगे रहेंगे. स्कैनिंग करने में किसी कारण वश देरी हो गयी, तो परिजन हमारे साथ मारपीट करेंगे. प्रत्येक परची पर दवा व्यापारी को 200 रुपये का शुल्क देना होगा. हम दवा दुकानदार इसी का विरोध कर रहे हैं. अगर दवा दुकानदार नियम का पालन नहीं करेंगे, तो उनपर कानूनी कार्रवाई की जायेगी. कोषाध्यक्ष उमेश श्रीवास्तव व सचिव विनोद कुमार ने बताया कि उनकी हमारी पुरानी मांग जैसे: दवा दुकानों पर फार्मासिस्ट रखने, ड्रग लाइसेंस की दर को 30,000 को पर छूट देने की हमारी मांग काफी पुरानी है. सरकार हमारी मांग को शीघ्र पूरा नहीं करती है, तो शीघ्र आंदोलन की रणनीति तैयार की जायेगी.
क्यों हो रहा ई-पोर्टल का विरोध
ई-पोर्टल में दवा निर्माता अपने को निबंधित करेंगी. पोर्टल में सीएनएफ, थोक विक्रेता को दिये गये औषधि का पूरा डाटा अपलोड करना होगा. पोर्टल में दवा का बैच नंबर, बेची गयी दवा की मात्रा एवं दवाओं के एक्सपायरी की तिथि दर्ज करानी होगी. खुदरा दवा विक्रेता, केमिस्ट व ई-फार्मेसी को तब तक दवा बिक्री की अनुमति नहीं हाेगी, जब तक वह ई-पोर्टल पर पूरा ब्योरा दर्ज नहीं करेंगे.
अस्पतालों में भरती मरीजों को दिक्कत नहीं
दवा दुकानों के बंद होने से निजी अस्पतालों की दवा दुकानों पर असर नहीं पड़ेगा. अस्पताल की दवा दुकानों से वार्ड में भरती मरीजों को दवा उपलब्ध कराया जायेगा. जीवन रक्षक दवाएं चिकित्सक की परची दिखाने पर निजी अस्पतालों से भी दी जायेगी.
अभी नियम बनना है, कई संशोधन होंगे
ड्रग कंट्रोलर ऋतु सहाय ने बताया कि अभी एक्ट बनना है, जिसमें संशोधन होना है. अभी से दवा व्यापारियों को परेशान नहीं होना चाहिए. ई-पोटर्ल से दवा दुकानों व मरीज दोनों को फायदा होगा. दवा एसोसिएशन से दुकान बंद नहीं करने का आग्रह किया गया है. सरकारी दवा दुकानें खुली रहेंगी.