बाइडेन की जीत पर अबतक खामोश क्यों है तुर्की, कैसे हैं एर्दोगन और ट्रंप के संबंध

बाइडेन की जीत पर अबतक खामोश क्यों है तुर्की, कैसे हैं एर्दोगन और ट्रंप के संबंध
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अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में को मिली जीत पर तुर्की के राष्ट्रपति ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। 2016 में जब को राष्ट्रपति पद पर जीत मिली थी तब एर्दोगन ने न केवल उन्हें फोन कर बधाई दी थी, बल्कि ट्वीट कर भी खुशी का इजहार किया था। ठीक इसी तरह जब 2012 में बराक ओबामा ने जीत पाई थी तब भी एर्दोगन ने उन्हें तुरंत बधाई दी थी।

ट्रंप के साथ नजदीकी के कारण नहीं दे रहे बधाई
कहा जाता है कि यदि कोई राजनीतिक संरक्षण के लिए ट्रंप पर मोहम्मद बिन सलमान से ज्यादा निर्भर करता है तो वह तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन हैं। नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) के सहयोगी होने के बाद भी तुर्की ने रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा है। ऐसे में यूएस कांग्रेस ने तुर्की पर प्रतिबंध लगाए जाने की वकालत की थी, लेकिन ट्रंप ने इसे लागू करने से मना कर दिया था।

सीरिया में ट्रंप ने की एर्दोगन की मदद
अपने व्यक्तिगत संबंधों से ही एर्दोगन ने ट्रंप को सीरिया के कुर्द क्षेत्रों से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए मनाया था ताकि तुर्की उन क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण कर सके। ट्रंप ने सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में पेंटागन या अमेरिकी सहयोगियों से सलाह किए बिना ही यह निर्णय लिया था। जबकि इसमें ब्रिटेन, फ्रांस और कुर्द लड़ाके भी शामिल थे।

तुर्की के खिलाफ सख्त ऐक्शन ले सकते हैं बाइडेन
जो बाइडेन ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान ही साफ कर दिया था कि वे तुर्की को कोई भी रियायत देने के मूड में नहीं है। यही कारण है कि राष्ट्रपति एर्दोगन चाहकर भी बाइडेन को जीत की बधाई नहीं दे पा रहे हैं। तुर्की के ऊपर न केवल कई चरमपंथी संगठनों को बढ़ावा देने का आरोप है, बल्कि वह नाटो का सदस्य होने के बावजूद रूस से भारी हथियार खरीद रहा है। ऐसे में बाइडेन उसे छोड़ने वाले नहीं हैं।

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