अब ऑक्टोपस को जंगी हथियार बना रहा रूस, समुद्र में अमेरिकी किलर डॉल्फिन को देगा टक्कर
दुनिया में लगातार बदलती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए रूस ने बड़ी तैयारी शुरू की है। जंग में सैनिकों को जख्मी होने से बचाने के लिए रूसी राष्ट्रपति समुद्री जीवों को नया हथियार बना रहे हैं। एक रूसी वैज्ञानिक ने दावा किया है कि पुतिन के आदेश पर आर्कटिक में एक भूमिगत झील में किलर ऑक्टोपस के बैच को तैयार किया जा रहा है। यह जीव 150 फीट की दूरी से ही किसी भी व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है।
ऑक्टोपस को दिया गया नाम
एक्सप्रेस डॉट को डॉट यूके की खबर के अनुसार, रूस के एक वैज्ञानिक डॉक्टर एंटोन पादालका ने दावा किया है कि वह आर्कटिक में इस मिशन का हिस्सा थे। इसके जरिए विशाल समुद्री जीव की खोज की गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि उस जीव को Organism 46-B नाम दिया गया था। उन्होंने दावा किया कि वोस्तोक झील में रूस इन समुद्री जीवों की पूरी स्कॉड बना रहा है।
आर्कटिक की झील से मिला था यह समुद्री हत्यारा
डॉक्टर एंटोन पादालका ने बताया कि इस विशालकाल ऑक्टोपस को आर्कटिक में दो मील मोटी बर्फ के नीचे बनी ताजे पानी की एक झील से खोजा गया था। इसके पास जहरीले लंबे हथियार हैं। जिससे इस अभियान पर गए रूस के दो वैज्ञानिकों की मौत भी हो गई थी। पहले दिन इस विशाल ऑक्टोपस ने हमारे रेडियो को खराब कर दिया था, जिसके बाद हमने अलार्म की मदद ली थी।
150 फीट दूर से दुश्मन को मार सकता है यह ऑक्टोपस
रूसी वैज्ञानिक ने दावा किया कि यह पानी में अपने जहर को फेंककर 150 फीट की दूरी से अपने शिकार को मारने में सक्षम है। दुख की बात यह है कि उसे ट्रेंड करने के दौन मेरे सहयोगी और लाइफ लॉन्ग फ्रेंड उसके जहर से मारे गए। जिसके बाद उसने अपने विशाकाय पंजों के जरिए उनके शरीर के काफी हिस्से को भी निगल गया।
अमेरिकी किलर डॉल्फिन से टक्कर लेगा
अमेरिकी नौसेना पिछले कई दशक से डॉल्फिन को जासूसी का प्रशिक्षण दे रही है। ये डॉल्फिन मछली सेंसर से लैस होती हैं जो समुद्र के अंदर विस्फोटकों और कई बार सबमरीन का पता लगाती हैं। कोल्ड वॉर के समय में इन डॉल्फिन मछलियों को रूसी सबमरीन की टोह लेने का प्रशिक्षण दिया गया था। वर्ष 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका किलर शार्क मछली को भी दुश्मन के सबमरीन पर हमला करने का प्रशिक्षण दे रहा है।
पहले से समुद्री जीवों का उपयोग करता है रूस
पूर्व में भी रूस ने समुद्री जीवों के जरिए कई ऑपरेशन अंजाम देने का काम किया है। शीत युद्ध के दौर में रूस ने डॉल्फिन का इस्तेमाल सबमरीन, फ्लैग माइन्स के लिए करने के साथ जहाजों की रखवानी के लिए भी किया। सैटलाइट से मिली ताजा तस्वीरों में खुलासा हुआ है कि रूस ने गृहयुद्ध से जूझ रहे सीरिया में अपनी पनडुब्बियों के साथ प्रशिक्षित डॉल्फिन मछलियों को भी तैनात किया है।