क्या प्रभावी होगी पहली कोरोना वैक्सीन? वैज्ञानिकों को सफलता पर संदेह
कोरोना वायरस से जूझ रही दुनिया को बचाने के लिए 30 से अधिक वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के दौर में हैं। वहीं, रूस और चीन ने तो वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल को पूरा किए बिना ही उसे मंजूरी दे दी है। दुनियाभर के लैब्स में 88 वैक्सीन प्री क्लिनिकल ट्रायल के स्टेज में हैं। इनमें से 67 वैक्सीन निर्माता साल 2021 के अंत में पहला क्लिनिकल ट्रायल शुरू करेंगे।
वैक्सीन की सफलता को लेकर अब भी संशय
हो सकता है कि इनके क्लिनिकल ट्रायल के शुरू होने से पहले ही लोग पहले चरण में कुछ वैक्सीनों को पा लें। फिर भी यह देखने में महीनों का समय लग सकता है कि पहले चरण में बनी कितनी प्रभावी है और इसके साइड इफेक्ट्स हैं कि नहीं। फिर भी इन वैक्सीन को बनाने वाले वैज्ञानिक दावा करते हैं कि उनके द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन इंसानों की इम्यून सिस्टम को मजबूत करेंगे और ये काफी सस्ते भी होंगे।
पहली कोरोना वैक्सीन पर वैज्ञानिकों ने जताया शक
जॉर्जिया विश्वविद्यालय में वैक्सीन और इम्यूनोलॉजी के केंद्र के निदेशक टेड रॉस ने संभावना जताते हुए कहा कि हो सकता है कि कोरोना का सबसे पहला टीका उतना प्रभावी न हो। टेड रॉस भी कोरोना वायरस की एक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं जो 2021 में क्लिनिकल ट्रायल के स्टेज में जाएगी। कुछ अन्य रिसर्चर्स ने भी दावा किया है कि हम एक ही रणनीति पर बहुत अधिक उम्मीदें लगाकर न बैठें।
किस तरह का इम्यून कोरोना के खिलाफ कारगर
कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यून सिस्टम को मजबूत हथियार माना गया है। टी सेल्स के रूप में जानी जाने वाली रक्त कोशिकाएं वायरस द्वारा घुसपैठ की गई अन्य कोशिकाओं पर हमला कर संक्रमण से लड़ सकती हैं। ब्राजील के साओ पाउलो इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक लूसिनाना लेविट ने कहा कि हम अब भी नहीं जानते कि किस तरह की इम्यून रिस्पांस हमारे शरीर की सुरक्षा के लिए जरूरी होगी।
WHO ने भी कहा था कि जादुई गोली नहीं होगी वैक्सीन
ने भी कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि यह वैक्सीन कोई जादुई गोली नहीं होगी जो कोरोना वायरस को पलक झपकते खत्म कर देगी। डब्लूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहोम घेब्येयियस ने कहा कि हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है इसलिए सबको साथ मिलकर प्रयास करने होंगे।
अमेरिकी शीर्ष वैज्ञानिक के सलाहकार ने भी दी चेतावनी
अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ एंथोनी स्टीफन फॉसी के वरिष्ठ सलाहकार डेविड मारेंस ने कहा कि वैक्सीन बनाने का हर प्रयास एक अंध परीक्षण की तरह होता है। जो शुरुआत में तो अच्छे परिणामों के साथ आता है लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं होती कि अंतिम चरण में भी वह वैक्सीन अपने ट्रायल के दौरान सफल साबित हो। हम आशा करते हैं कि हम पहली बार में ही इसे सही से कर पाएंगे और 6 से 12 महीनों के भीतर हमारे पास एक अच्छी वैक्सीन होगी।