US ने चीन को घेरा, अब गुआम में B-1B तैनात
चीन और अमेरिका के बीच जारी तनाव अब गंभीर रूप लेता दिखाई दे रहा है। अमेरिका ने चीन की बढ़ती दादागिरी पर रोक लगाने के लिए चौतरफा घेराबंदी शुरू कर दी है। चीन के करीब स्थित गुआम नेवल बेस पर अमेरिका ने लंबी दूरी तक परमाणु हमला करने में सक्षम स्ट्रेटजिक बॉम्बर प्लेन B-1B को तैनात कर दिया है। यह फाइटर प्लेन लगातार दक्षिण चाइना सी के ऊपर उड़ान भरकर चीन को चिढ़ा रहा है।
B-1B बॉम्बर को अमेरिकी कंपनी बोइंग ने बनाया है। अमेरिकी नेवी और एयरफोर्स इसके 100 यूनिट्स को ऑपरेट करती है, जिसमें से कुछ एशिया, और यूरोप में भी तैनात हैं। ये जहाज परमाणु हमला करने में सक्षम हैं। यह बॉम्बर एक बार में 34,019 किलोग्राम वजन तक के बमों को लेकर जा सकता है। इसने सीरिया, लीबिया, अफगानिस्तान और ईराक युद्ध में अपनी बमबारी से दुश्मनों के पांव उखाड़ दिए थे। यह एक ही उड़ान में दुनिया के किसी भी कोने तक जाने और बमबारी कर वापस आने में सक्षम है।
प्रशांत महासागर में स्थित इस छोटे से द्वीप पर अमेरिकी सेना की महत्वपूर्ण रणनीतिक मौजूदगी है। इस द्वीप से अमेरिकी सेना न केवल प्रशांत महासागर में चीन और उत्तर कोरिया की हरकतों पर नजर रख सकता है बल्कि उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने और नेवल ब्लॉकेज लगाने में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। यहां 5000 अमेरिकी सैनिकों की तैनाती है। यहां तैनात अमेरिकी स्ट्रैटजिक बॉम्बर लगातार चीन के आसपास के इलाकों में उड़ान भर रहे हैं।
अमेरिका ने चीन को चौतरफा घेरने के लिए तीन B-2 स्प्रिट स्टील्थ बॉम्बर्स को हिंद महासागर में स्थित डियागो गार्सिया में तैनात किया है। ये विमान करीब 29 घंटे की यात्रा करके अमेरिका के मिसौरी एयरफोर्स बेस से डियागो गार्सिया पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि करीब डेढ़ साल बाद परमाणु बॉम्बर की इस तैनाती के जरिए अमेरिका ने चीन और ईरान को बड़ा संदेश दिया है। ये बॉम्बर ऐसे समय पर डियागो गार्सिया पहुंचे हैं जब भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा विवाद चरम पर पहुंच गया है।
B-2 स्प्रिट की गिनती दुनिया के सबसे घातक बॉम्बर्स में की जाती है। यह बमवर्षक विमान एक साथ 16 B61-7 परमाणु बम ले जा सकता है। हाल ही में इसके बेड़े में बेहद घातक और सटीक मार करने वाले B61-12 परमाणु बम शामिल किए गए हैं। यह परमाणु रेडार की पकड़ में नहीं आता है और चुपके से हमले को अंजाम देने में सक्षम है। यही नहीं यह दुश्मन के हवाई डिफेंस को चकमा देकर आसानी से उसके इलाके में घुस जाता है। इस बॉम्बर पर एक हजार किलो के परंपरागत बम भी तैनात किए जा सकते हैं। यह दुश्मन की जमीन पर हमला करने में सबसे कारगर बॉम्बर माना जाता है।
अमेरिका का डियागो गार्सिया नेवल बेस न केवल भारत बल्कि पूरे हिंद महासागर के लिए खास है। दरअसल, हिंद महासागर के केंद्र में स्थित चागोस द्वीपसमूह में लगभग 60 द्वीपसमूह और सात एटोल शामिल हैं। इसका सबसे बड़ा द्वीप डिएगो गार्सिया है। यह द्वीपसमूह बहुत छोटा है जिसका क्षेत्रफल महज 60 वर्ग किलोमीटर और 698 किलोमीटर लंबी तटरेखा है। इस द्वीप का स्वामित्व अभी ब्रिटेन के पास है और उसने इसे अमेरिका को दे दिया है। चागोस द्वीप समूह, हिंद महासागर के मध्य में स्थित है, जो पश्चिम में अफ्रीकी मुख्य भूमि के तट से और पूर्व में दक्षिण-पूर्व एशिया से लगभग सामान दूरी पर है। इस द्वीप के पश्चिम में सोमालिया का तट और इसके पूर्व में सुमात्रा का तट स्थित है, दोनों लगभग 1,500 समुद्री मील दूर हैं। चागोस द्वीपसमूह, भारतीय उप-महाद्वीप के दक्षिण से लगभग 1,000 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है।