'चीन के खिलाफ जंग में भारत के साथ PoK'
भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर रहे चीन के ‘दोस्त’ पाकिस्तान के अंदर भारतीय सेना के समर्थन में आवाजें उठ रही हैं। (PoK) के एक पॉलिटिकल ऐक्टिविस्ट ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी आक्रामकता को लेकर गुस्सा जाहिर किया है और PoK के साथ-साथ गिलगिट-बल्टिस्तान के लोगों की ओर से चीन के खिलाफ लड़ाई में भारत के समर्थन की बात कही है।
’70 साल भारत से अलग रखा, चुप नहीं रहेंगे’
फिलहाल, ग्लासगो में निर्वासन में रह रहे अमजद अयूब मिर्जा ने कहा है कि वह भारतीय सेना को सपॉर्ट करने की प्रतिज्ञा करते हैं। मूलरूप से PoK के मीरपुर निवासी मिर्जा ने कहा है, ’70 साल से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगिट बल्टिस्तान के लोगों को भारत से अलग रखा गया। चीनी आक्रामकता की वजह से भारत मुश्किल वक्त से गुजर रहा है। हम चुप नहीं रहेंगे और भारत के कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि चीन पाकिस्तान और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टियों के साथ मिलकर घटिया खेल खेल रहा है।
‘चीन ने की बड़ी गलती, 130 करोड़ लोगों को उकसाया’
मिर्जा ने कहा, ‘मैं खुद भारत के लिए लड़ूंगा और जहां भी भारतीय सैनिक का खून गिरेगा हम भी दुश्मन के खिलाफ लड़ेंगे।’ उन्होंने कहा कि चीन ने बड़ी गलती की है और भारत के 130 करोड़ लोगों और PoK और गिलगिट बल्टिस्तान में रह रहे लोगों को उकसाया है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत हुई तो वह भारतीय सेना को जॉइन करके दुश्मन के खिलाफ लड़ेंगे।
गलवान घाटी में शहीद हुए थे 20 भारतीय जवान
गौरतलब है कि 15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद चीन ने सेना पीछे करने पर सहमति तो जताई लेकिन न सिर्फ घटना का जिम्मा भारत के ऊपर डाल दिया बल्कि सैटलाइट तस्वीरों में देखा गया कि उसने सेना हटाई भी नहीं है। वहीं, चीन की आक्रामकता को खतरा बताते हुए अमेरिका ने यूरोप से अपनी सेना हटाकर एशिया में तैनात करने की बात कही है।
चीन की आक्रामकता से परेशान है पूरी दुनिया
चीन इस वक्त कई कारणों से दक्षिणपूर्व एशिया के साथ-साथ एशिया और यूरोप की भी चिंता का विषय बना हुआ है। एक ओर जहां भारत से तनावपूर्ण स्थिति को हवा दे रहा है, वहीं ईस्ट चाइना सी में जापान को छेड़ रहा है। दूसरी ओर ताइवान के एयरस्पेस में भी कई बार चीन के फाइटर जेट दाखिल हुए हैं। कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों के सामने खड़े चीन ने साउथ चाइना सी पर भी दावा ठोंक रखा है जहां उसकी सैन्य मौजूदगी को खतरा माना जा रहा है।