ट्रिपल तलाक : पुरानी कुप्रथा से सुप्रीम कोर्ट ने दिलाई आजादी
नई दिल्ली : तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इस मामले पर पांच जजों की संवैधानिक पीठ में से तीन जजों ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक बताया है. ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के फैसले के आधार पर 9 करोड़ मुस्लिम महिलाओं की जीत हुई है.
फैसला सुनवाई चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि ट्रिपल तलाक मुस्लिम समुदाय का 1000 साल पुराना आंतरिक मामला है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 3-2 से अपना फैसला सुनाया. जस्टिम नरीमन, जस्टिम यूयू ललित और जस्टिस कुरियन जोसफ ने ट्रिपल तलाक को पूरी तरह गलत बताते हुए अपने फैसले में इसे असंवैधानिक करार दिया.
चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नजीर ने अपने फैसले में ट्रिपल तलाक पर छह महीने के लिए रोक लगाई थी और कहा था कि सरकार इस पर कानून बनाए. चीफ जस्टिस ने कहा था कि सरकार इस पर छह महने के अंदर कानून लेकर आए.
गौरतलब है कि इस मामले पर पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने पहले ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले पर कोर्ट में 11 से 18 मई तक सुनवाई हुई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के रूम नंबर 1 में फैसला सुनाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले पर अलग से कानून बनाए. क्योंकि सरकार इसके खिलाफ है. कोर्ट ने कहा कि यह मौलिक अधिकार का हनन नहीं है. लेकिन छह महीने के अंदर कानून बने. तीन जजों ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक करार दिया.