पंजाब के सरकारी मेडिकल-डेंटल कॉलेज में खेल कोटा के तहत 3 फीसदी आरक्षण देने का फैसला निरस्त

पंजाब के सरकारी मेडिकल-डेंटल कॉलेज में खेल कोटा के तहत 3 फीसदी आरक्षण देने का फैसला निरस्त
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नई दिल्ली : () ने मंगलवार को हाईकोर्ट के फैसले के उस हिस्से को रद्द कर दिया, जिसमें पंजाब सरकार को राज्य के सरकारी मेडिकल और डेंटल कॉलेज में खेल कोटा में एक प्रतिशत की बजाय तीन फीसदी आरक्षण देने का निर्देश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोर्ट आरक्षण देने के लिए रिट जारी नहीं कर सकती हैं। उच्च न्यायालय के साल 2019 के फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया।

हाईकोर्ट ने फैसले में क्या कहा था
हाईकोर्ट के फैसले में निर्देश दिया गया था कि राज्य सरकार प्रदेश के सरकारी मेडिकल और डेंटल कॉलेज में खेल कोटा के तहत तीन फीसदी आरक्षण प्रदान करने के लिए नई अधिसूचना जारी करे। कार्यपालिका ने इन कॉलेजों में खेल कोटा के तहत एक फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि राज्य के सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त गैर-अल्पसंख्यक मेडिकल/डेंटल चिकित्सा संस्थानों में आतंकवाद या सिख दंगे से प्रभावित लोगों के बच्चों और पोते-पोतियों के लिए एक फीसदी कोटा प्रदान किया जाए। इसने यह भी निर्देश दिया था कि आतंकवाद और दंगा प्रभावित अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण का प्रावधान प्रबंधन कोटे की सीटों पर भी लागू होगा।

जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्ना की पीठ ने सुनाया फैसलाजस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्ना की पीठ ने सरकारी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में खेल कोटा को एक से बढ़ाकर तीन फीसदी करने के हाईकोर्ट के आदेश की वैधता पर विस्तार से विचार किया और फैसले के दूसरे पहलू पर विचार नहीं करने का फैसला किया। फैसले में कहा गया है कि यह सवाल कि क्या दाखिले में आतंकवाद या दंगा प्रभावित व्यक्तियों के बच्चों या पोते-पोतियों के लिए एक प्रतिशत कोटा प्रदान करने में उच्च न्यायालय सही था, अब ‘अकादमिक’ बन गया है, क्योंकि राज्य अब आरक्षण प्रदान कर रहा है। इस मामले में शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून को लेकर सवाल हमेशा बना रहेगा।

जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहासर्वोच्च अदालत ने कहा, ‘जहां तक उच्च न्यायालय की ओर से सरकारी मेडिकल-डेंटल कॉलेज में तीन प्रतिशत का खेल कोटा देने के निर्देश का सवाल है तो उसे रद्द किया जाता है।’ न्यायालय ने कहा कि हाईकोर्ट कि इस मामले में परमादेश का रिट जारी नहीं कर सकता था।’ जस्टिस शाह ने फैसला देते हुए कहा कि राज्य सरकार की ओर से खिलाड़ियों को केवल एक प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला एक नीतिगत फैसला है।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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