जंग-ए-आजादी में आदिवासियों के योगदान को सामने लाएगी मोदी सरकार

जंग-ए-आजादी में आदिवासियों के योगदान को सामने लाएगी मोदी सरकार
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्ली
यूं तो देश की आजादी में समाज के सभी वर्गों का योगदान रहा है, इनमें देश के आदिवासी समुदायों की भी अहम भूमिका रही है। यह बात और है कि आजादी की इस लड़ाई में उनका योगदान इतिहास के पन्नों पर पूरी तरह से उभर कर सामने नहीं आ पाया। आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर मोदी सरकार ने देश के आदिवासी समुदाय के योगदान को रेखांकित करने का फैसला किया है।

इसी के तहत मोदी कैबिनेट ने हाल ही में आगामी 15 नवंबर को आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती को के रूप में मनाने का फैसला किया है। इतना ही नहीं, 15 नंवबर से अगले एक हफ्ते तक सरकार पूरे देश में आदिवासियों के योगदान व उनके गौरव को रेखांकित करने जा रही है, जिसके लिए 15-22 नवंबर तक देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिसमें आदिवासी समुदाय के अनजाने नायकों के प्रति आभार जताने से लेकर श्रद्धांजलि तक दी जाएगी। यह जानकारी आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने दी। उनका कहना था कि आजादी के बाद देश में जनजातीय समुदाय के मद्देनजर इस लिहाज से पहली बार यह पहल हो रही है।

मुंडा का कहना था कि देश के जितने भी सीमाई प्रांत हैं, उनमें आदिवासियों की खासी मौजूदगी रही है। ऐसे में देश की सुरक्षा में वे हमेशा से अहम भूमिका निभाते रहे हैं। केंद्र सरकार ने इन समुदाय के योगदान को रेखांकित करने के लिए कई पहल की हैं। इसके तहत देश भर में दस आदिवासी संग्रहालय बनाए जा रहे हैं। पहला संग्रहालय बिरसा मुंडा के राज्य झारखंड की राजधानी रांची में बनकर सामने आ रहा है। इनके अलावा, गोवा, गुजरात, मध्यप्रदेश, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, तेलंगाना, मिजोरम जैसे राज्यों में भी संग्रहालय बनने जा रहे हैं। इन संग्रहालयाें में उस राज्य के आदिवासी सेनानियों की गाथा, जीवनी व उनके बारे में जानकारी होने के साथ-साथ वहां के आदिवासी समाज की कला, संस्कृति जीवन की झलक भी मिलेगी।

इसके अलावा, जंगे आजादी में आदिवासियों के योगदान के लिए केंद्र सरकार की ट्राइबल मिनिस्ट्री रिसर्च कर एक डेटा तैयार करने में जुटी है। इसके लिए सभी राज्यों से जानकारी जुटाई जा रही है। मंत्रालय की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, अभी तक देशभर में लगभग 80 ऐसे आंदोलनों व घटनाओं की जानकारी मिली है, जो आजादी की लड़ाई के लिए आदिवासियों द्वारा चलाए गए। वहीं मंत्रालय ने अब तक देश में लगभग 200 अनसुने आदिवासी सेनानियों की जानकारी जुटाई है, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया था। मंत्रालय के मुताबिक यह काम आगे भी जारी रहेगा।

मंत्रालय इसे सिर्फ जंगे आजादी तक ही सीमित नहीं रखेगी, लेकिन इसका कालखंड अंग्रेजों के साथ हुई लड़ाई से भी पहले तक जाएगा। जैसे महाराणा प्रताप के भील सेनापति सहित तमाम नायकों को इस कड़ी में संजोया जाएगा। मुंडा ने बताया कि इसके लिए इतिहास के साथ-साथ आदिवासी समुदाय की भी मदद ली जा रही है, क्योंकि इस समुदाय में इतिहास को संजोने की मौखिक परंपरा बेहद मजबूत रही है। एक हफ्ते तक चलने वाले कार्यक्रम में 15 नंवबर को जहां पीएम मोदी संसद परिसर में बिरसा मुंडा का मूर्ति को श्रद्धांजलि देंगे, वहीं वह भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में आदिवासी गौरव दिवस का शुभारंभ करेंगे।

जबकि उसी दिन अर्जुन मुंडा रांची में स्थित बिरसा मुंडा म्यूजियम का उद्धाटन करेंगे। गौरतलब है कि रांची की जेल में ही बिरसा मुंडा की मृत्यु हुई थी। इतना ही नहीं, इन आदिवासियों सेनानियों की याद में देश भर में आदिवासी स्मारक भी बनाए जाएंगे। मोदी सरकार इन म्यूजियमों व स्मारकों को आने वाले दिनों में एक पर्यटक स्थल के तौर पर उभारने की योजना बना रही है।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.