आरोपियों के दिमाग में कोई नहीं घुस सकता… सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हत्या के प्रयास के मामले में दो लोगों की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए एक अहम टिप्पणी की। SC ने कहा कि कोई भी आरोपी के दिमाग में प्रवेश नहीं कर सकता है और उसके इरादे का पता इस्तेमाल किए गए हथियार से किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि वह निचली अदालत और झारखंड हाई कोर्ट के विचार से पूरी तरह सहमत हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हत्या के प्रयास के मामले में दो लोगों की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए एक अहम टिप्पणी की। SC ने कहा कि कोई भी आरोपी के दिमाग में प्रवेश नहीं कर सकता है और उसके इरादे का पता इस्तेमाल किए गए हथियार से किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि वह निचली अदालत और झारखंड हाई कोर्ट के विचार से पूरी तरह सहमत हैं।
पीठ ने कहा, ‘चूंकि चोट के लिए किया गया है, जिन्हें शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा कहा जा सकता है, अपीलकर्ताओं को भारतीय दंड विधान की धारा 307 के साथ धारा 34 के तहत अपराध के लिए सही दोषी ठहराया गया है।’
पीठ ने कहा, “जैसा कि इस अदालत द्वारा निर्णयों के क्रम में देखा और कहा गया है, कोई भी आरोपी के दिमाग में प्रवेश नहीं कर सकता है और उसके इरादे को इस्तेमाल किए गए हथियार, हमले के लिए चुने गए शरीर के हिस्से और चोट की प्रकृति से पता लगाया जाना चाहिए।”
यह फैसला सदाकत कोटवार और रेफाज़ कोटवार द्वारा दायर एक अपील पर आया, जिसमें झारखंड उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें भारतीय दंड विधान की धारा 34 (सामान्य इरादे) के साथ धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत अपराधों के लिए उनकी सजा को बरकरार रखा गया था।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स