तीन माह से कम बच्चे को गोद लेने पर ही मैटरनिटी लीव, नियम के खिलाफ SC गई महिला
नई दिल्ली
बच्चे को गोद लेने वाली महिला को से मना किए जाने के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट के उस प्रावधान को चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि तीन महीने से कम के बच्चे को गोद लेने वाली महिला को ही मैटरनिटी लीव का लाभ मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।
बच्चे को गोद लेने वाली महिला को से मना किए जाने के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट के उस प्रावधान को चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि तीन महीने से कम के बच्चे को गोद लेने वाली महिला को ही मैटरनिटी लीव का लाभ मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि मैटरनिटी बेनिफिट अमेंडमेंट एक्ट 2017 की धारा 5(4) में प्रावधान किया गया है कि महिला जो तीन महीने से छोटे बच्चे को गोद लेती है, सिर्फ उन्हें 12 हफ्ते का मैटरनिटी लीव मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि यह प्रावधान मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट के भावना के विपरीत है। साथ ही कहा गया है कि जेजे एक्ट के प्रावधानों के भी विपरीत है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि जेजे एक्ट के प्रावधान और गोद लेने की जो प्रक्रिया है, उसमें जन्म लेने वाले बच्चे को भी गोद लिया जाए तो प्रक्रिया पूरी होने में 3 महीने से ज्यादा लग जाएगा। याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने को कहा है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स