SC ने महिलाओं को NDA एंट्रेस एग्जाम में बैठने की दी इजाजत, केंद्र से पूछे तीखे सवाल

SC ने महिलाओं को NDA एंट्रेस एग्जाम में बैठने की दी इजाजत, केंद्र से पूछे तीखे सवाल
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्ली
एनडीए के एंट्रेंस एग्जाम में महिलाओं को बैठने की इजाजत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम अंतरिम आदेश में महिलाओं को एनडीए एंट्रेंस एग्जाम में बैठने की इजाजत दे दी है और कहा है कि रिजल्ट सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा। यह एगजाम 5 सितंबर को होने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एनडीए में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की सरकार की नीति पर सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी से सवाल किया कि आखिर आप लोग उसी रास्ते पर क्यों चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने जब आर्मी में महिलाओं को परमानेंट कमिशन देने का फैसला कर दिया है तो इसके बाद आपकी इस नीति का क्या मतलब है। हमारे समझ से ये अब निरर्थक हो जाता है।

यूपीएससी नोटिफिकेशन में सुधार कर उचित तरीके से जारी करे नोटिफिकेशन
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल और जस्टिस रिषिकेश राय की बेंच ने अपने अंतरिम आदेश में महिलाओं को एनडीए एग्जाम में बैठने की इजाजत देते हुए कहा है कि यूपीएससी इसके लिए अपने नोटिफिकेशन में सुधार करते हुए उचित नोटिफिकेशन जारी करें और इस बारे में व्यापक प्रचार किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता कुश कालरा की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि एनडीए में महिलाओं को दाखिले की इजाजत दी जाए। अर्जी में कहा गया है कि महिलाओं को एनडीए एग्जाम में बैठने की इजाजत नहीं है और यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

परमानेंट कमीशन वाले जजमेंट के बाद ये बेतुका
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि ये विशुद्ध रूप से नीतिगत मामला है। कोर्ट को मामले में दखल नहीं देना चाहिए। महिलाओं को एनडीए में दाखिले की इजाजत नहीं है इसका मतलब ये नहीं है कि उनके तरक्की और करियर में कोई बाधा है।

इस दौरान केंद्र सरकार की अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी से सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल ने सवाल किया कि आप अपने फैसले में अभी भी कायम हैं जबकि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने आर्मी में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने का आदेश पारित किया था। अब ऐसे में आपका फैसला निर्रथक हो जाता है और हम इसे बेतुका समझ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कौल की बेंच ने कहा कि क्या आप ( आर्मी) तभी कार्रवाई करेंगे जब ज्यूडिशियल आदेश पारित किया जाएगा अन्यथा नहीं। अगर आप ऐसा ही चाहते हैं तो वैसा ही किया जाएगा। हमने खुद हाई कोर्ट से लेकर यहां भी देखा है कि जब तक आदेश पारित नहीं होता आर्मी खुद से करने में विश्वास नहीं रखती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा लिंग भेद के आधार पर है नीतिगत फैसला
मामले की सुनवाई के दौरान जब अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि महिलाओं को परमानेंट कमिशन दिया जा रहा है। तब जस्टिस कौल ने कहा धन्यवाद। जब तक आदेश पारित नहीं होता आप कुछ नहीं करेंगे। नेवी और एयरफोर्स ज्यादा स्पष्टवादी हैं। लेकिन आपका रवैया अलग है। तब अडिशनल सॉलिसिटर जनरल भाटी ने कहा कि आर्मी में जाने के तीन रास्ते हैं आईएमए, ओटीए और एनडीए। ओटीए (ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकेडमी) और इंडियन मिलिट्री अकेडमी (आईएमए) में महिलाओंं का दाखिला होता है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि को एजुकेशन में आपको परेशानी क्या है। जब भाटी ने कहा कि पूरा स्ट्रक्चर यही है और नीतिगत फैसला है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लिंग भेद के आधार पर नीतिगत फैसला है। हम सुप्रीम कोर्ट ने परमानेंट कमीशन के मामले में जो जजमेंट दिया है उसके मद्देनजर हम प्रतिवादी से कहेंगे कि वह सकारात्मक फैसला लें। हम चाहते हैं कि आप खुद मामले में फैसला लें बजाय इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को आदेश पारित करना पड़े। इस दौरान जस्टिस रॉय ने कहा कि अगर ये नीतिगत फैसला है कि दो श्रोत से महिलाओं को जाने की इजाजत है तो फिर तीसरे रास्ते क्यों बंद कर रहे हैं। ये न सिर्फ लिंग भेद का मामला है बल्कि वैसे ही भेदभावपूर्ण है।

एनडीए में दाखिला न देना संवैधानिक अधिकारों का हनन: याची
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि महिलाओं को एनडीए में दाखिले की इजाजत दी जाए। अभी महिलाओं को एनडीए में दाखिले की इजाजत नहीं है और इस तरह से देखा जाए तो ये संविधान के समानता का अधिकार, समान अवसर प्रदान करने का अधिकार व अभिव्यक्ति के अधिकार यानी अनुच्छेद-14,15, 16 व 19 का उल्लंघन है। महिलाओं को लिंग भेद के आधार पर एनडीए में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने जबकि मिनिस्ट्री ऑफ ड़िफेंस बनाम बबीता पुनिया केस (परमानेंट कमीशन केस) में कहा था कि जेंडर रोल और फिजियोलॉजिकल फीचर का संविधान के प्रावधानों के मद्देनजर कोई मतलब नहीं रह जाता है। याचिका में कहा गया है कि जो महिलाएं योग्य हैं उन्हें एनडीए में प्रवेश और परीक्षण से दूर करना असंवैधानिक है। ऐसा लिंग के आधार पर विभेद किया जा रहा है। साथ ही जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के उस फैसले का भी हवाला दिया गया जिसमें महिलाओं को सेना में परमानेंट कमिशन देने का आदेश दिया गया है।

परमानेंट कमीशन मामले में क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
17 फरवरी 2020 को आर्म्ड फोर्स में महिलाओं के साथ भेदभाव को खत्म करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि सभी महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन मिलेगा और उनके लिए कमांड पोजिशन का रास्ता भी साफ कर दिया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.