भ्रष्टाचार के आरोप, उम्र या… सियासत के मंझे खिलाड़ी येदियुरप्पा को क्यों देना पड़ा इस्तीफा
कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत को उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपा। अगला सीएम नियुक्त नहीं हो जाने तक येदियुरप्पा कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। उन्होंने मीडिया को बताया कि इस्तीफा देने के लिए उन पर किसी ने दबाव नहीं डाला। यह फैसला उन्होंने खुद लिया ताकि सरकार के 2 साल पूरे होने के बाद कोई और मुख्यमंत्री का पद संभाल सके। वह अगले चुनाव में भाजपा को सत्ता में वापस लाने के लिए काम करते रहेंगे। उन्होंने 75 साल का पूरा हो जाने के बावजूद सीएम के तौर पर जनता की सेवा का मौका देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का आभार जताया। क्या येदियुरप्पा के इस्तीफे के पीछे उनकी बढ़ती उम्र ही एक वजह है या कुछ और भी बातें हैं। आइए, यहां दो दशकों तक कर्नाटक में भाजपा का चेहरा रहे येदियुरप्पा के इस्तीफे की कुछ वजहों के बारे में जानते हैं।
बढ़ रहा था अंदरूनी विरोध
78 साल के येदियुरप्पा के खिलाफ भाजपा में भी विरोध बढ़ रहा था। कई विधायक खुलकर उनके विरोध में बयानबाजी कर रहे थे। भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने कहा था कि पार्टी मुख्यमंत्री के तौर पर येदियुरप्पा को अगले चुनावों में नहीं रख सकती है। सीएम को ऐसा होना चाहिए जो राज्य में भाजपा को आक्रामक और जीवंत रख सके। राज्य पर्यटन मंत्री सीपी योगेश्वर और विधायक अरविंद बेल्लाद भी येदियुरप्पा का विरोध करते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा से भी उन्हें लगातार अंदरूनी विरोध का सामना करना पड़ रहा था।
भ्रष्टाचार के आरोप
येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लग चुके हैं। उन पर राज्य सरकार की 24 एकड़ भूमि अवैध तरीके से आवंटित करने का आरोप था। इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल पुराने इस मामले में उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगाई थी।
बढ़ती उम्र भी एक वजह
कर्नाटक में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा के कई नेताओं का जोर युवा नेतृत्व पर था। उनका कहना था कि चुनाव से कुछ साल पहले ही नेतृत्व परिवर्तन हो जाना चाहिए। यह तैयारी करने का मौका देगा। पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जेडी (एस) गठबंधन सरकार को गिराकर येदियुरप्पा सत्ता में आए थे।
शिक्षा की खराब हालत
शिक्षा राज्य का मामला है। लेकिन, कर्नाटक में शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार ने खुद स्वीकार किया था कि उन्हें कोई आइडिया नहीं है कि क्यों राज्य सरकार स्कूल फीस को काबू करने में नाकाम रही। इसके बावजूद कि कांग्रेस सरकार ने मई 2018 में ही इसे लेकर आदेश पारित किया था।
कोरोना संकट को संभालने में नाकामी
माना जाता है कि येदियुरप्पा से केंद्रीय नेतृत्व की नाराजगी की एक बड़ी वजह कोरोना का प्रबंधन करने में नाकामी रही है। यतनाल ने कहा था कि राज्य कोरोना की स्थिति को संभालने में पूरी तरह से विफल साबित हुई है। इसने पार्टी को लज्जित किया है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स