मॉनसून सत्र से पहले जासूसी की रिपोर्ट संयोग नहीं….सरकार ने किया साजिश का इशारा
हंगामे के बीच वैष्णव ने कहा कि रविवार रात एक वेब पोर्टल पर बेहद सनसनीखेज स्टोरी चली। इस स्टोरी में बड़े-बड़े आरोप लगाए गए। संसद के मॉनसून सत्र से एक दिन पहले प्रेस रिपोर्ट सामने आईं। यह संयोग नहीं हो सकता।
रविवार को अंतरराष्ट्रीय मीडिया की ओर से जारी इस रिपोर्ट में बड़ा दावा किया गया। इसमें कहा गया कि इजरायल के पेगासस सॉफ्टवेयर की मदद से भारत में कई नेताओं, पत्रकारों और सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों का फोन हैक किया गया है। रिपोर्ट में 150 से ज्यादा लोगों के फोन हैक करने की बात कही गई है। इस आरोप का सरकार ने खंडन किया। साथ ही यह भी कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां प्राइवेसी मौलिक अधिकार है। रिपोर्ट सरासर गलत है।
क्या है पूरा मामला? दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों ने रविवार को एक रिपोर्ट छापी। दावा किया गया कि भारत समेत कई देशों की सरकारों ने 150 से ज्यादा पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य ऐक्टिविस्ट्स की जासूसी कराई। इसके लिए इजरायल के NSO ग्रुप के ‘पेगासस’ स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कम से कम 38 लोगों की निगरानी की गई। हालांकि, भारत सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
इजरायली कंपनी ने रिपोर्ट को बताया मनगढ़ंत
उधर, इजरायली कंपनी NSO ग्रुप ने अपने ‘पेगासस’ सॉफ्टवेयर को लेकर हुए खुलासों पर बयान जारी किया। कंपनी का कहना है कि ‘फॉरबिडेन स्टोरीज’ की रिपोर्ट ‘गलत धारणाओं और अपुष्ट सिद्धांतों’ से भरी हुई है। एक बयान में इजरायल की इस साइबर इंटेलिजेंस कंपनी ने कहा कि रिपोर्ट का कोई ‘तथ्यात्मक आधार नहीं है और यह सच्चाई से परे है।’ कंपनी के मुताबिक, ऐसा लगता है कि ‘अज्ञात सूत्रों’ ने गलत जानकारी मुहैया कराई है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स