लोगों के जीवन की कीमत पर अस्पतालों को फलने-फूलने नहीं दिया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

लोगों के जीवन की कीमत पर अस्पतालों को फलने-फूलने नहीं दिया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्ली
अस्पतालों में फायर सेफ्टी नियमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन न करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की खिंचाई की है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने गुजरात सरकार के नोटिफिकेशन का जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत वास्तविकता में अस्पताल फायर सेफ्टी नियम का जून 2022 तक पालन नहीं करेंगे। अदालत ने कहा कि आपने एक तरह से अस्पताल को अधिकार प्रदान कर दिया है कि वह अगले साल तक नियम का पालन न करें और लोग लगातार मरते रहेंगे और जलते रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों के जीवन की कीमत पर अस्पतालों को फलने फूलने नहीं दिया जा सकता।

‘क्या ये कोई न्यूक्लियर गोपनीयता वाली बात है’
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस मामले में कमिशन की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में पेश की गई। रिपोर्ट अस्पतालों की फायर सेफ्टी के बारे में पेश हुई। इस सील बंद लिफाफे की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये क्या सील बंद लिफाफे में पेश की है। क्या ये कोई न्यूक्लियर गोपनीयता वाली बात है। राजकोट और अहमदाबाद में कोविड अस्पताल में आग लगने के बाद सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई कर रही है। कोविड मामले में लिए गए संज्ञान के मामले में गुजरात के अस्पतालों में लगी आग के मामले में सुनवाई हो रही है।

‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ऊपर कार्यपालिका का ऑर्डर नहीं हो सकता’
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि गुजरात सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर राज्य के अस्पतालों को फायर ऑडिट से छूट दे दी है। और ये छूट अगले साल जून तक के लिए दे दी गई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि एक बार जब सुप्रीम कोर्ट से रिट पर आदेश पारित होता है तो कार्यपालिका का कोई भी नोटिफिकेशन उसके ऊपर नहीं हो सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 40 अस्पतालों पर जब जिम्मेदारी तय हुई तो उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बाद में सरकार ने आदेश पारित कर कहा कि फायर सेफ्टी के उल्लंघन के मामले में अस्पतालों पर एक्शन नहीं होगा। ये सरकारी आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कंटेप्ट है। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा है कि आप मामले को देखें।

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर सरकार ऐसा आदेश कैसे पारित कर सकती है कि अस्पतालों पर कोई एक्शन न लिया जाए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा था कि वह फायर सेफ्टी ऑडिट की डिटेल पेश करे। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अस्पताल बड़ा उद्योग हो चुका है और हम उसे लोगों के जीवन की कीमत पर फलने फूलने नहीं दे सकते, फिर आप उसे बंद कर दें। ऐसा कभी नहीं दिखना चाहिए कि सरकार ऐसे अस्पतालों को बचा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है।

सुप्रीम कोर्ट गुजरात के अस्पताल में आग लगने की घटना पर ऑडिट के लिए कहा था
पिछले साल 9 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों से फायर सेफ्टी गाइडलाइंस पालन करने के बारे में डिटेल देने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार और केंद्र सरकार से कहा था कि वह कोविड गाइडलाइंस और फायर सेफ्टी के बारे में उठाए जाने वाले कदम पर जवाब दाखिल करे। राजकोट में कोविड अस्पताल में आग लगने के मामले की जांच जस्टिस (रिटायर) डीए मेहता आयोग कर रही है इस कमिटी से अहमदाबाद अग्निकांड मामले की भी जांच को कहा गया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कोविड अस्पतालों के हर महीने फायर सेफ्टी का ऑडिट करने को कहा था।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.