सुप्रीम कोर्ट का अल्टीमेटम, राजद्रोह कानून को चुनौती वाली याचिका पर दो हफ्ते में जवाब दे केंद्र
राजद्रोह से संबंधित कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया है। सुप्रीम कोर्ट में दो पत्रकारों की ओर से दाखिल याचिका में राजद्रोह कानून को चुनौती दी गई है और कहा गया है कि ये विचार अभिव्यक्ति की आजादी में दखल देता है।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल ने जवाब देने के लिए दो हफ्ते का वक्त मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कहा कि वह जवाब दाखिल करें और सुनवाई टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने मणिपुर और छत्तीसगढ़ के दो जर्नलिस्ट की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को कहा था कि वह जवाब दाखिल करें। पिछली सुनवाई 30 अप्रैल को हुई थी तब केंद्र से जवाब मांगा गया था। सोमवार को केंद्र ने जवाब देने के लिए कुछ और वक्त मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और केंद्र सरकार दोेनों को जवाब देने के लिए वक्त दे दिया। सुनवाई 27 जुलाई की तारीख तय कर दी।
याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा है कि राजद्रोह कानून विचार अभिव्यक्ति की अजादी के अधिकार में दखल देता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इंडिया, इंटरनैशनल कानून से बंधा हुआ है। इंटरनैशनल लॉ के तहत सिविल और राजनीतिक अधिकार प्रोटेक्टेड है लेकिन राजद्रोह से संबंधित कानून विचार अभिव्यक्ति के अधिकार में दखल देता है। याचिका में कहा गया है कि केदारनाथ से संबधित वाद में जो फैसला आया है उसके बाद से लगातार 124 ए यानी राजद्रोह के कानून का दुरुपयोग होता रहा है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स