बिहार में आतंकियों के स्लीपर सेल को कौन और क्यों कर रहा एक्टिव? समझिए पूरी बात

बिहार में आतंकियों के स्लीपर सेल को कौन और क्यों कर रहा एक्टिव? समझिए पूरी बात
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पटना।
बिहार को शुरू से ही आतंकियों का सेफ पैसेज कहा जाता रहा है। कई जांच रिपोर्ट में आतंकियों द्वारा घटना को अंजाम देने के बाद बिहार के रास्ते ही नेपाल या बांग्लादेश निकल भागने की बात कही जा चुकी है। खुफिया एजेंसी के सूत्र के अनुसार आतंकियों द्वारा बिहार को हमेशा से एक माध्यम के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। लेकिन अब आतंकी संगठन बिहार में अपनी जड़ें मजबूत कर रहे हैं।

हाल के दिनों में बिहार में कोई घटनाओं ने आशंकाओं को दिया बल
पिछले एक महीने में बिहार में जिस तरह की घटनाएं घटी है। वह देखने से तो आपराधिक घटना लगती है लेकिन इसके पीछे एक बड़ी साजिश की बू भी आती है।


23 मई 2021 को पूर्णिया के एक दलित बस्ती में 200 मुसलमानों का हथियारों के साथ हमला करना और बस्ती जलाकर उन्हें वहां से भगाने की कोशिश करना क्या सिर्फ एक आपराधिक घटना थी या इसके पीछे एक बड़ी साजिश है ?

पूर्णिया की घटना के ठीक एक दिन बाद
किशनगंज में एक दलित व्यक्ति की उसी मोहल्ले के मुसलमानों द्वारा गडासे से काटकर की गई हत्या भी क्या महज एक आपराधिक वारदात थी ?

बिहार के लिए दोनों इलाके अंतरराष्ट्रीय सीमा
बांग्लादेश से लगती है। और भारत में जिसे
‘ चिकन नेक ‘ कहा जाता है उससे महज 8 किलोमीटर दूरी पर यह दोनों घटनास्थल स्थित है।


8 जून 2021 को बांका के मदरसे में हुए ब्लास्ट से जहां पूरा
मदरसा ही ढह गया। वही
मदरसे का मौलवी इस विस्फोट में मारा गया। लेकिन विस्फोट के वक्त मदरसे में मौजूद सात से आठ लोग भागने में कामयाब रहे।

बांका मदरसे में हुए विस्फोट की जांच एनआईए को सौंपी गई। आश्चर्य की बात यह है कि एनआईए जांच शुरू करें इसके पहले ही बिहार पुलिस जिसने इस विस्फोट को गैस सिलेंडर का विस्फोट बताया था। एनआईए जांच की बात सामने आते ही आनन-फानन में देसी बम विस्फोट की कहानी गढ़ दी।

हालांकि अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि धमाके में कौन सा विस्फोटक पदार्थ इस्तेमाल किया गया था। लेकिन देसी बम विस्फोट बताने वाली बिहार पुलिस ने अभी तक यह नहीं बताया कि विस्फोट के वक्त मदरसे के अंदर मौजूद व्यक्तिों की गिरफ्तारी अब तक क्यों नहीं हो सकी है। वह कौन लोग थे जो विस्फोट के बाद मदरसे से भागने में कामयाब हुए।

बांका में जिस तरह की घटना हुई है उससे पश्चिम बंगाल के
बर्धमान में हुए धमाकों की याद ताजा कर दी है। दरअसल वर्धमान की घटना में
बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमायत उल मुजाहिदीन का हाथ सामने आया था। अब यह देखना है कि एनआईए की जांच में क्या सामने आता है। क्योंकि वर्धमान के जिस मकान में विस्फोट हुआ था उसमें विस्फोटक से
आईडी बम बना रहे थे। बांका में जहां विस्फोट हुआ वहाँ भी एक बॉक्स का हिस्सा मिला है।


8 जून को हुए बांका मदरसा में हुए ब्लास्ट के ठीक 24 घंटे बाद यानी
9 जून को बिहार के ही
अररिया जिले में हुए धमाके की खबर ने सूबे के लोगों को सकते में डाल दिया। अररिया बम धमाके में
मोहम्मद अफरोज नामक एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति का दाहिना हाथ उड़ गया। और इसके आसपास कई जिंदा बम भी बरामद किए गए।


16 जून को दरभंगा रेलवे स्टेशन पर धमाका होने के बाद यह शक गहराने लगा है कि बिहार में कोई गहरी साजिश रची जा रही है। हालांकि दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हुए विस्फोट के इंटेंसिटी ज्यादा नहीं थी। लेकिन अहम बात यह है कि धमाका किसी बारूद से नहीं बल्कि लिक्विड से हुआ था। दरभंगा रेलवे स्टेशन विस्फोट मामले की जांच भी एटीएस को सौंपी गई है।

दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हैदराबाद से आए
पार्सल में धमाका हुआ था। महत्वपूर्ण बात यह है की पार्सल पाने वाले जगह पर दरभंगा के
मोहम्मद सुफियान का नाम तो लिखा है। लेकिन पार्सल के पैकेट पर मोहम्मद सुफियान का पता फर्जी पाया गया है। तो क्या यह माना जाए कि आतंकी संगठन द्वारा बिहार में
केमिकल बम बनाने की तैयारी शुरू की जा रही है।

फरवरी 2021 में पता चला जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने वाले हिदायतुल्ला मलिक का बिहार कनेक्शन
इसी साल फरवरी में जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के रहने वाले आतंकवादी हिदायतुल्ला मलिक ने बिहार से हथियार मंगाने के लिए नेटवर्क बनाया है। उन्होंने बताया था कि बिहार से अब तक 7 पिस्तौल मंगा कर आतंकवादियों के बीच बांट दिया गया है। दरअसल सुरक्षाबलों ने कुछ लड़कों को गिरफ्तार किया था जिसमें बिहार के तीन युवक भी शामिल थे। तब डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया था कि आतंकवादी हिदायतुल्ला ने पंजाब में पढ़ने वाले कश्मीर के कुछ छात्रों के साथ बिहार के कुछ छात्रों को भी अपने साथ शामिल कर लिया है। वह कश्मीर और जम्मू में किसी भी तरह की गतिविधि और बाहर से हथियारों को लाने के लिए उनका इस्तेमाल कर रहा था।

“जानिए क्या है बिहार का आतंकी और स्लीपर सेल का कनेक्शन”

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नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा में सीरियल ब्लास्ट के लिए स्लीपर सेल का इस्तेमाल
27 अक्टूबर 2013 को पटना के गांधी मैदान में बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर घोषित किए गए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में हुए सीरियल ब्लास्ट में कई लोगों की जान चली गई थी। तब एनआईए की जांच में यह पाया गया कि आतंकियों द्वारा इस घटना को अंजाम देने के लिए बिहार – झारखंड के स्लीपर सेल का इस्तेमाल किया गया था। एनआईए (NIA ) की जांच में यह भी बताया गया था कि आतंकियों के यह स्लीपर सेल बिजली मिस्त्री, चप्पल बनाने वाले, पंचर बनाने वाले, दर्जी या किसी भी रूप में हो सकते हैं। एनआईए (NIA ) ने यह भी कहा था कि बोधगया के महाबोधि मंदिर पर हुए आतंकी हमले में भी रोहिंग्या आतंकी के स्लीपर सेल की बात आयी थी।

साल 2000 में पहली बार हुई थी बिहार के सीतामढ़ी से दो आतंकवादी की गिरफ्तारी
साल 2000 में नेपाल की सीमा से लगे सीतामढ़ी जिले से हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकी मकबूल और जाहिर को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद मुंबई की लोकल ट्रेन में ब्लास्ट की घटना के बाद जिस आतंकी को पकड़ा गया था वह मधुबनी जिले का रहने वाला मोहम्मद कमाल था जो स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी का सदस्य बताया जाता था।

क्या दरभंगा आतंकवादियों के लिए पनाहगाह है ?
बिहार का दरभंगा जिला भी आतंकवादियों के लिए पनाहगाह के रूप में देखा जा रहा है। 2014 से पहले हुए देश में कई जगह पर बम ब्लास्ट के मामले में जितने आतंकी पकड़े गए थे उनमें से एक दर्जन दरभंगा जिले के ही रहने वाले थे। दरभंगा के कफील अहमद वसी, अहमद शेख मोहम्मद, आदिल गयूर अहमद, जमाली आफताब आलम जैसे कई नाम इसी जिले के थे। इसके अलावा नेपाल से सटे मोतिहारी जिले से इंडियन मुजाहिद्दीन के यासीन भटकल और अब्दुल असगर उर्फ हड्डी, मधुबनी के मदनी की गिरफ्तारी ने भी यह साबित कर दिया था कि बिहार को आतंकवादी अपने पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

देशद्रोही बयान देने वाला शरजील इमाम भी बिहार के जहानाबाद का
जेएनयू (JNU) छात्र शरजील इमाम ने असम समेत पूरे उत्तर पूर्व भारत को शेष भारत से काटने की बात कही थी। जेएनयू में उसने कहा था कि ‘चिकन नेक’ के कटने से ही हम लोगों को आजादी मिल सकेगी। बता दें कि देशद्रोही बयान देने वाला यह शरजील इमाम भी बिहार के जहानाबाद का ही रहने वाला है। इसके बाद देशद्रोही बयान देने वाले शरजील इमाम पर देश के 6 राज्यों में देशद्रोह का मामला दर्ज कराया गया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद शरजील इमाम भी नेपाल भागने की फिराक में था लेकिन पुलिस ने नेपाल भागने के पहले ही जहानाबाद से उसे गिरफ्तार कर लिया था।

तो क्या किसी बड़ी साजिश के लिए फिर एक्टिव किया जा रहा है बिहार के स्लीपर सेल को?
बिहार में घटी हाल की ताजा घटनाओं को देखते हुए क्या यह माना जा सकता है कि, 2014 से 2021 तक किसी भी बड़ी घटना को अंजाम देने में असफल रहे आतंकी संगठन, अब बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश रच रहे हैं ? क्या आतंकी संगठन घटना को अंजाम देने के लिए बिहार बंगाल बॉर्डर को बेस सेंटर बनाने की तैयारी में जुटे हैं ? यह संभावना इसलिए भी जताई जा रही है कि बिहार बंगाल बॉर्डर पर आतंकियों के बेस तैयार होने से ‘ चिकन नेक ‘ को काटने में सहूलियत होगी। इसके अलावा मुस्लिम बहुल क्षेत्र में जल्द कोई कार्रवाई की संभावना भी कम रहेगी। खुफिया जांच एजेंसी के सूत्र यह भी बताते हैं कि दो तीन आतंकी संगठन मिलकर बिहार में अपने स्लीपर सेल को एक्टिव करने में लगे हैं। यानी यह आशंका बरकरार है कि आतंकी संगठन एक बार फिर से सक्रिय होकर किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में लगे हैं।

साभार : नवभारत टाइम्स

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