कोरोना के डेल्टा+ वैरिएंट पर सरकार ने टेंशन की दूर, कहा- अभी बहुत नहीं हैं मामले, चिंता की बात नहीं
नीति आयोग के सदस्य-स्वास्थ्य डॉ वीके पॉल ने मंगलवार को कहा कि डेल्टा प्लस का यूरोप में मार्च में ही पता लग गया था। डेल्टा वैरिएंट में म्यूटेशन से यह बना है। 13 जून को इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक हो गई थी।
पॉल ने बताया कि डेल्टा प्लस से अभी चिंता की बात नहीं है। उपलब्ध डेटा के अनुसार, यह वैरिएंट मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को निष्क्रिय कर देता है। अभी इस वैरिएंट के बारे में और अध्ययन किया जा रहा है।
सावधानी की जरूरत
वह बोले कि कोरोना का नया वैरिएंट 2020 के मुकाबले ज्यादा चालाक हो गया है। अब हमें ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। हमें ज्यादा सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना होगा। मास्क लगातार पहने रखना होगा। इसके बिना परिस्थिति फिर खराब हो सकती है।
वही, स्वास्थ्य मंत्रालय संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि लोगों को अभी बेवजह की यात्रा करने से बचना चाहिए। कोरोना से लड़ाई में वैक्सीनेशन अतिरिक्त औजार है। लेकिन, लोगों को अब भी एहतियात बरतना है। मास्क पहनने के साथ उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना चाहिए।
डेल्टा प्लस के बारे में मुख्य बातें
डेल्टा या B.1.617.2 वैरिएंट में म्यूटेशन के कारण नया डेल्टा प्लस वैरियंट बना है। इस वैरिएंट से बीमारी कितनी गंभीर हो जाती है, इसका पता नहीं चला है। Delta Plus या AY.1 पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल का असर नहीं होता है। बहुत अधिक मामले नहीं होने के कारण यह अभी भारत के लिए चिंता का विषय नहीं है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक डेल्टा प्लस वैरिएंट के कुछ 63 मामले मिल चुके हैं। इस में से छह भारत से हैं। डेल्टा स्ट्रेन बी.1.617.2 के स्पाइक में के417 एन प्रोटीन का म्यूटेशन हुआ है। यह म्यूटेशन बीटा वैरीएंट बी.1.351 में भी था।
साभार : नवभारत टाइम्स