सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद बदली टीका नीति? केंद्र बोला- रातोंरात नहीं होते फैसले

सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद बदली टीका नीति? केंद्र बोला- रातोंरात नहीं होते फैसले
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नई दिल्लीसरकार ने मंगलवार को कहा कि वह एक मई को शुरुआत के बाद से ही टीकाकरण के विकेन्द्रीकृत मॉडल के कार्यान्वयन का मूल्यांकन कर रही थी और इसे फिर से केंद्रीकृत करने का फैसला कुछ राज्यों के अनुरोध पर विस्तृत विचार-विमर्श के बाद किया गया। सरकार की यह टिप्पणी विपक्ष के उन दावों के बीच आई है कि उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के कारण नीति में बदलाव किया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को घोषणा की थी कि केंद्र राज्यों के खरीद कोटे को अपने हाथों में ले लेगा और 18 साल से अधिक आयु वर्ग के लोगों के लिए राज्यों को टीके मुफ्त उपलब्ध कराए जाएंगे।

यह पूछे जाने पर कि क्या नए टीकाकरण दिशानिर्देश उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद जारी किए गए थे, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा, “हम उच्चतम न्यायालय के मार्गदर्शन और चिंता का सम्मान करते हैं, लेकिन सरकार एक मई से विकेंद्रीकृत मॉडल के कार्यान्वयन का मूल्यांकन कर रही थी।”

पॉल ने कहा कि पिछले एक महीने के दौरान महाराष्ट्र, केरल, सिक्किम, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा और आंध्र प्रदेश सहित 12 राज्यों ने अनुरोध किया कि टीकों की केंद्रीकृत खरीद होनी चाहिए ताकि कार्यक्रम का कार्यान्वयन ठोस तरीके से हो सके। पॉल ने कहा कि इस तरह के फैसले ‘रातोंरात’ नहीं किए जाते हैं और नए दिशानिर्देश विभिन्न पक्षों के साथ विमर्श, विश्लेषण, प्रतिक्रिया और अनुभव पर आधारित हैं।

पॉल ने नए दिशानिर्देशों की चर्चा करते हुए कहा कि राज्य कार्यक्रम को लागू करने और खरीद में शामिल होना चाहते थे और प्राथमिकता समूहों के संबंध में लचीलापन भी रखते थे। उन्होंने कहा, ‘इस बात को ध्यान में रखते हुए टीकाकरण की गति को बढ़ाने के लिए एक प्रणाली बनाई गई और उसके तहत मई में यह तय किया गया कि 50 प्रतिशत टीके केंद्र की तरफ से खरीदे जाएंगे जबकि 50 प्रतिशत की खरीद राज्य और निजी क्षेत्र की तरफ से की जाएगी।’ उन्होंने भरोसा दिया कि नए दिशानिर्देश टीकाकरण कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में अहम होंगे।

महामारी की स्थिति को लेकर पॉल ने कहा कि नए मामलों में गिरावट अनुशासन और सामाजिक व्यवहार के कारण है। उन्होंने कहा कि अनुशासन केंद्र और राज्य व स्थानीय सरकार सभी स्तरों पर है। अब हम एक अहम दौर से गुजरेंगे क्योंकि प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील दी जाती है ताकि फिर से मामले नहीं बढ़ें इसलिए हमें कोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की आवश्यकता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि सात मई को चरम स्तर पर पहुंचने के बाद से दैनिक नए मामलों में करीब 79 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने कोविड की दूसरी लहर के संबंध में कहा कि दैनिक नए मामलों में लगातार और तेजी से गिरावट आई है।

अग्रवाल ने कहा कि भारत में प्रति दस लाख आबादी पर कोरोना वायरस के 20,822 मामले आए और 252 मौतें हुई हैं जो दुनिया में सबसे कम आंकड़ों में से एक है। भविष्य में कोरोना की किसी और लहर को रोकने के लिए सरकार ने आबादी का टीकाकरण होने तक कोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार का पालन करने पर जोर दिया।

सरकार ने कुछ महीनों के लिए भीड़ की स्थिति से बचने की जरूरत पर भी बल दिया। हालांकि कुछ राज्यों ने नए मामलों की घटती संख्या को देखते हुए लॉकडाउन में ढील की घोषणा की है।

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा, “हमें कोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार का उस समय तक पालन करते रहने की जरूरत है जब तक कि हम यह नहीं कह सकते कि हमारी आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से का टीकाकरण हो गया हो। जब पर्याप्त लोगों को टीका लग जाएगा तो प्राकृतिक प्रतिरक्षा विकसित हो जाएगी और ये लहरें रुक जाएंगी।”

उन्होंने आगे कहा कि ऐसा कोई आंकड़ा या सबूत नहीं है जिससे यह पता लगता हो कि कि अगर कोविड की अगली लहर आती है तो यह बच्चों को अधिक प्रभावित करेगा।

साभार : नवभारत टाइम्स

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