वन भूमि पर अवैध कंस्ट्रक्शन हटाने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

वन भूमि पर अवैध कंस्ट्रक्शन हटाने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
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नई दिल्ली
ने हरियाणा सरकार और को निर्दश दिया है कि वह खोरी गांव में वन जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी अतिक्रमण को छह हफ्ते में हटाया जाए। वहां करीब 10 हजार रिहायशी कंस्ट्रक्शन हैं जिसे हटाने का निर्देश जारी किया गया है। फॉरेस्ट लैंड पर हुए कब्जे को हटाने और छह महीने में अमल रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारी फरीदाबाद जिले के खोरी गांव में जो वन भूमि है वहां से अवैध घर अथवा कंस्ट्रक्शन हटाएं और छह महीने के भीतर अदालत के आदेश का अनुपालन रिपोर्ट पेश करें। पुलिस अतिक्रमण हटाने वाले निगम अधिकारियों को इस दौरान प्रोटेक्शन दे।

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर कड़ा ऐतराज जताया कि हाई कोर्ट ने 2016 में आदेश दिया था कि वन इलाके में हुए कंस्ट्रक्शन हो हटाया जाए लेकिन अभी तक उस फैसले पर अमल नहीं किया गया जबकि पांच साल बीत गए। फरवरी 2020 में भी सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम से अवैध कंस्ट्रक्शनों और मकानों को ध्वस्त करने को कहा था। दिसंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को दोहराया था।

अभी तक तमाम आदेश हुए लेकिन वन क्षेत्र में हुए अतिक्रमण नहीं हटाए गए। अदालत ने कहा कि ये म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की उदासीनता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम राज्य सरकार और नगर निगम को दिए आदेश को फिर रिपीट करते हैं और निर्देश देते हैं कि फॉरेस्ट लैंड से सभी अतिक्रमण छह हफ्ते के भीतर हटाया जाए।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को कहा गया कि जिन्हें हटाया जा रहा है उनके पास कोई और जगह नहीं है।

उन्हें पुनर्वास के लिए निर्देश दिया जाना चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन्होंने जमीन पर अतिक्रमण किया है वह निष्पक्ष सुनवाई की दलील का सहारा नहीं ले सकते। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जिन्होंने अवैध तरीके से वन भूमि पर कब्जा किया था उन्होंने दलील दी कि उन्हें हटाए जाने के बाद कहीं और बसाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये दलील किसकी है? जिन्होंने जमीन पर अवैध कब्जा किया है क्या उनकी ये दलील है?

जब अदालत में आप आते हैं तो ईमानदारी की बात करने लगते हैं और जब बाहर होते हैं तो कानून के हिसाब से काम नहीं करते।पीठ ने कहा कि पुनर्वास का मसला, नीतिगत है। कोर्ट ने अवैध रूप से वन क्षेत्र में घर बनाकर रह रहे लोगों से कहा है कि बेहतर होगा कि वे स्वयं घरों को खाली कर दें। अदालत ने कहा कि पहले जगह खाली होना चाहिए। फिर हम सुनवाई करेंगे। सुप्रीम कोर्ट में विडियो कॉन्फ्रेंंसिंग के जरिये सुनवाई हुई इस दौरान फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर से कोर्ट ने कहा कि जो भी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के अधिकारी अतिक्रमण को हटाने में लगे हैं उनको प्रोटेक्ट किया जाए और उनके सुरक्षा का इंतजाम पुलिस करे।

साभार : नवभारत टाइम्स

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