कोरोना मामले में पीएम केयर फंड को भी पार्टी बनाने की मांग, SC में याचिका दाखिल

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नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में कोरोना से संबंधित पेंडिंग मामले में एक याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि को भी मामले में पक्षकार बनाया जाए। कारण है कि पीएम केयर फंड मुख्य हितधारक है। ऐसे में पीएम केयर फंड को प्रतिवादी बनाया जाए। इस मामले में एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने अर्जी दाखिल की है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि पीएम केयर फंड महत्वपूर्ण पार्टी है। पीएम केयर फंड से कोरोना से सबंधित सप्लाई और सर्विसेस के लिए फंडिंग की जा रही है। पीएम केयर फंड का मुख्य मकसद पब्लिक हेल्थ इमर्जेंसी की स्थिति में किसी भी तरह की सहायता और रिलीफ देना है। इसके लिए हेल्थकेयर के अपग्रेडेशन से लेकर दवाओं की सुविधाएं और वित्तीय सहायता दी जा सकती है।

पीएम केयर फंड में देश में तमाम लोगों ने योगदान दिया है। इसमें नौकरी वालों ने भी सैलरी से कंट्रिब्यूशन किए हैं। पीएम केयर फंड एक है। कोरोना से होने वाली जंग में प्रमुख सहयोगी है। वह कोरोना से होने वाली लड़ाई के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। ऐसे में पीएम केयर फंड के जरिये कोर्ट को अलग-अलग जगहों और क्षेत्र में जो कोरोना से लड़ाई लड़ी गई है, उस बारे में जानकारी मिल सकती है।

पीएम केयर फंड से खरीदे गए वेंटिलेटर
पिछले साल मई में घोषणा की गई थी कि पीएम केयर फंड से 3000 करोड़ का आवंटन हुआ है। उनमें से 2000 करोड़ का इस्तेमाल वेंटिलेटर खरीदने में और 1 हजार करोड़ का इस्तेमाल प्रवासी मजदूरों के लिए किया गया है। साथ ही वैक्सीनेशन सपोर्ट के लिए भी फंडिंग की गई। ये भी दावा किया गया है कि 201 करोड़ रुपये अतिरिक्त मेडिकल ऑक्सिजन प्लांट के लिए किया गया। याची ने दावा किया है कि दिल्ली हाई कोर्ट में जब सुनवाई चल रही थी तो मीडिया में इन प्लांट्स के बारे में विरोधाभासी रिपोर्ट थी।

कई बातें नहीं हैं साफ
याचिकाकर्ता ने कहा है कि ने बताया है कि वैक्सीन के विकास में केंद्र ने कोई आवंटन नहीं किया है। ऐसे में वैक्सीन की कीमत तय करने में उसका कोई रोल नहीं होगा। जबकि पीएम केयर फंड ने खुद घोषणा की थी कि वैक्सीन के विकास में 100 करोड़ का आवंटन किया गया है।

ऐसे में ये बात स्पष्ट नहीं है कि क्या वैक्सीन के विकास में कोई फंड दिया गया है या नहीं। याचिकाकर्ता एक्टिविस्ट ने कहा कि पीएम केयर फंड की देखरेख पीएम और अन्य केंद्रीय मंत्रियों की ओर से की जा रही है। राष्ट्रीय प्रतीक और लोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि ये भी कहा जा रहा है कि यह न तो भारत सरकार का है और न ही सरकारी कंट्रोल इस पर है।

याचिका में कहा गया है कि पीएम केयर फंड स्वतंत्र और अलग यूनिट है। वह कोरोना के दौरान लगातार फंड आवंटन कर रह है। साथ ही वैक्सीन के विकास में भी फंडिंग कर रही है। जबकि आरटीआई के तहत अकाउंट के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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