कोरोना से परेशान स्टूडेंट्स के लिए सहारा बने ये IRS अफसर, मुफ्त में पहुंचा रहे खाना-दवा और किताबें

कोरोना से परेशान स्टूडेंट्स के लिए सहारा बने ये IRS अफसर, मुफ्त में पहुंचा रहे खाना-दवा और किताबें
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नई दिल्लीकोरोना वायरस की दूसरी लहर से शायद ही कोई हो जो अछूता हो। छोटे-मोटे कामगार से लेकर मंत्रियों-अफसरों तक को इस बीमारी ने अपना शिकार बनाया है। देशभर से लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ रहे हैं। ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्सों में घर से दूर रहकर पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स की मदद के लिए भी भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी सामने आए हैं। ये अधिकारी अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन में फंसे या खुद इस बीमारी से जूझ रहे ऐसे स्टूडेंट्स की दवा-खाने से लेकर राशन और किताबों तक के लिए मदद कर रहे हैं।

2017 बैच के आईआरएस अफसर शशांक शेखर सिंह ने ऐसे जरूरतमंद स्टूडेंट्स की मदद के लिए अपने बैचमेट्स और सीनियर के साथ मिलकर एक वॉलंटियर ग्रुप बनाया है। उनके इस ग्रुप में उनके बैचमेट्स से लेकर अलग-अलग सर्विसेज के अधिकारी भी शामिल हैं।

कैसे आया स्टूडेंट्स की मदद का आइडिया?

एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में आईआरएस शशांक शेखर ने बताया कि एक दिन अचानक ही मन में ख्याल आया कि देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग ट्विटर पर मदद की गुहार लगा रहे हैं। किसी को दवा चाहिए, किसी को राशन और खाना…मुझे लगा कि इन आवाजों में अपने घर से दूर रह रहे स्टूडेंट्स की भी सैकड़ों आवाजें होंगी। ऐसे स्टूडेंट्स की मदद के लिए मैंने अपने बैचमेट और आईआरएस अधिकारी चेतन शर्मा, हरिकेश सिंह, 2017 बैच के ही आईएएस आनंद शर्मा, दिल्ली जू के डायरेक्टर और सीनियर आईएफएस रमेश पांडेय सर के साथ मिलकर एक वॉलंटियर ग्रुप बनाया। हमारे इस ग्रुप में धीरे-धीरे कई सीनियर अधिकारी और बैचमेट्स भी जुड़ते चले गए।

देश के अलग-अलग हिस्सों से आईं करीब 1000 कॉल्स
शशांक ने बताया, ‘हमने इस पहल की शुरुआत 24-25 अप्रैल को की थी। तबसे अब तक हमारे पास करीब 1000 जरूरतमंद स्टूडेंट्स की कॉल आ चुकी हैं। इनमें से करीब 200 स्टूडेंट्स तक मदद पहुंचाई जा चुकी है। बाकी बचे स्टूडेंट्स तक इस हफ्ते मदद पहुंचा दी जाएगी।’ उन्होंने बताया कि हमारे पास त्रिपुरा से लेकर जम्मू-कश्मीर, चेन्नै, मुंबई, दिल्ली, बंगाल और यूपी के कई इलाकों से कॉल्स आ रहे हैं।

शशांक ने बताया, किस तरह की आती हैं कॉल्सशशांक ने आगे बताया, ‘ज्यादातर कॉल्स बीमार स्टूडेंट्स की तरफ से या ऐसे स्टूडेंट्स की तरफ से होती हैं जिनके पैसे खत्म हो गए हैं और ऐसे समय वे घरवालों से मांगना नहीं चाहते। हम उनकी कॉल की अर्जेंसी को देखकर देशभर में फैले अपने बैचमेट्स या सीनियर अधिकारियों से संपर्क करते हैं और उन तक जरूरत का सामान या दवाई पहुंचा देते हैं। जिन स्टूडेंट्स को किताबें चाहिए होती हैं, उनके लिए ऑनलाइन ऑर्डर कर देते हैं या दुकान पर जाकर किताब लेने के लिए कहते हैं। बाद में दुकानदार को हम पैसे ऑनलाइन ट्रांसफर कर देते हैं।’

हम भी स्टूडेंट रहे हैं, अच्छे से समझ सकते हैं इनकी तकलीफआईआरएस अफसर शशांक ने बताया कि हम लोग भी एक समय स्टूडेंट ही थे और घर से दूर रहकर एग्जाम की तैयारी करते थे। हम इन स्टूडेंट्स की तकलीफ अच्छे से समझ सकते हैं। उन्होंने बताया कि पहले चंद बैचमेट्स के जरिए शुरू हुए इस अभियान ने रफ्तार पकड़ ली है और देशभर से हमारे बैच के साथी और सीनियर अधिकारी हमारे साथ जुड़ रहे हैं और हर तरह से सहयोग कर रहे हैं।

साभार : नवभारत टाइम्स

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