कैसे केरल की नर्सों ने कोरोना वैक्सीनेशन में एक करिश्मा कर दिखाया?
कोरोना के संकट के बीच दुनियाभर में केरल की नर्सों की मांग बढ़ी है। आंकड़ों से पता चलता है कि कोरोना की महामारी से पहले केरल सरकार का ओवरसीज डेवलपमेंट एंड इम्प्लॉयमेंट प्रमोशन कंसल्टेंट्स (ODEPC) हर महीने करीब 40 नर्सें विदेश भेजता था। लेकिन, इसके बाद इसमें कई गुने का इजाफा हो गया।
कोरोना वैक्सीनेशन के साथ इनकी मांग और बढ़ी है। संयुक्त अरब अमीरात (UAE), ब्रिटेन, सऊदी अरब के अलावा अन्य कई देशों में अपनी सेवाएं दे रही हैं। आयरलैंड, माल्टा, जर्मनी, नीदरलैंड और बेल्जियम ने भी भारत सरकार से इन नर्सों के रिक्रूटमेंट को लेकर संपर्क किया है।
कितनी मिलती है सैलरी?
ODEPC के अनुसार, विदेश में इन नर्सों को काफी अच्छा ऑफर होता है। कोरोना की आपदा के बाद इसमें बढ़ोतरी हुई है। दुबई का उदाहरण लेते हैं। महामारी से पहले भारतीय नर्सों को 4,000-5,000 दिरहम (80,000-1 लाख रुपये) बतौर पैकेज ऑफर किया जाता था। लेकिन, महामारी के बाद से यह पैकेज दोगुने से ज्यादा हो गया है। भारतीय नर्सों को अभी करीब 10,000-12,000 दिरहम (2 लाख-2.4 लाख रुपये) का सैलरी पैकेज ऑफर हो रहा है।
केरल का क्यों है बड़ा योगदान?
केरल के पास डॉक्टर और नर्सों की बड़ी खेप तैयार करने की अपेक्षाकृत ज्यादा क्षमता है। 2016 तक राज्य में 20 ऑक्सीलरी नर्सिंग और मिडवाइफरी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट थे। इनमें से 9 सरकारी थे। 204 जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट थे। इनमें से 16 सरकारी थे। बीएससी (नर्सिंग) इंस्टीट्यूट की संख्या 133, एमएससी (नर्सिंग) की डिग्री देने वाले संस्थानों की संख्या 68 थी। नर्सों की ट्रेनिंग के मामले में केरल देश में अव्वल है।
पीएम ने दी शाबाशी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कोविड-19 टीकों की बर्बादी रोकने के लिए केरल सरकार के प्रयासों की सराहना की। कहा, इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में टीकों की बर्बादी रोकना महत्वपूर्ण है। पीएम ने केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के ट्वीट को टैग करते हुए लिखा, ”टीकों की बर्बादी कम करने में हमारे स्वास्थ्यकर्मियों और नर्सों का उदाहरण प्रस्तुत करते देखना अच्छा लग रहा है।”
साभार : नवभारत टाइम्स