न कोई शोर-शराबा, न कोई प्रचार…ओडिशा सरकार ने 8 राज्यों को भेजी 1675 मीट्रिक टन ऑक्सिजन

न कोई शोर-शराबा, न कोई प्रचार…ओडिशा सरकार ने 8 राज्यों को भेजी 1675 मीट्रिक टन ऑक्सिजन
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भुवनेश्वरकोरोना वायरस की ‘सुनामी’ से इस समय पूरा देश जूझ रहा है। एक साथ देश के हेल्थकेयर सिस्टम पर पड़े इस दबाव से देश के लगभग सभी राज्यों में ऑक्सिजन की भारी कमी हो गई है, जिसे पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं। कई राज्य ऐसे हैं जो 100-50 टन ऑक्सिजन के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, तो वहीं इन तमाम मुश्किलों में एक छोटे से राज्य ओडिशा ने बड़ा दिल दिखाते हुए करीब 8 बड़े राज्यों को सहारा दिया है।

ओडिशा सरकार ने पिछले 5 दिनों में ऑक्सिजन से भरे 90 टैंकरों के जरिए तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश जैसे कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में 1675.7 मीट्रिक टन ऑक्सिजन भेजी है।

PM-CM मीटिंग में नवीन पटनायक ने किया था ‘संजीवनी’ का वादाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 22 अप्रैल को हुई एक बैठक के दौरान ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने आश्वासन दिया था कि वह ऑक्सिजन के मोर्चे पर साथी राज्यों की पूरी मदद करेंगे। इसके लिए उन्होंने एक स्पेशल सेल बनाई जिसकी जिम्मेदारी राज्य के एडीजी (कानून-व्यवस्था और क्राइम) वाई.के. जेठवा को दी गई।

मुख्यमंत्री ने एडीजी वाई.के. जेठवा को सौंपी जिम्मेदारीएडीजी वाई.के. जेठवा ने ओडिशा के अंगुल, ढेंकानाल, जाजपुर और राउरकेला में स्थित स्टील प्लांट्स से मेडिकल ऑक्सिजन की लोडिंग और उनके परिवहन का कार्यभार संभाला।
एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में उन्होंने बताया, ‘अब तक 8 राज्यों को 1675.78 मीट्रिक टन ऑक्सिजन भेजी जा चुकी है। इनमें से आंध्र प्रदेश को सबसे ज्यादा 30 टैंकर्स के जरिए 644.72 मीट्रिक टन, मध्य प्रदेश को 15 टैंकर्स के जरिए 215.82 मीट्रिक टन, तेलंगाना को 19 टैंकर्स के जरिए 324 मीट्रिक टन ऑक्सिजन पहुंचाई गई है।’

75 फीसदी ऑक्सिजन सिर्फ इन दो जिलों से भेजी गईजेठवा ने बताया, ‘करीब 75 फीसदी (1242 मीट्रिक टन) ऑक्सिजन राउरकेला और जाजपुर स्थित प्लांट्स से भेजी गई है। दोनों शहर स्टील प्लांट्स का हब हैं। राउरकेला से 37 और जाजपुर से 25 ऑक्सिजन टैंकर दूसरे राज्यों में भेजे गए हैं।’

ऑक्सिजन टैंकर्स के लिए बनाया डेडिकेटेड कॉरिडोरउन्होंने आगे बताया, ‘ऑक्सिजन की लोडिंग के बाद सबसे जरूरी था उनका बिना किसी अड़चन के जरूरतमंद राज्यों में पहुंचना। इसके लिए एक डेडिकेटेड कॉरिडोर बनाया और उसकी 24 घंटे मॉनिटरिंग की। जिलों के एसपी, डीसीपी से लेकर रेंज के आईजी और डीआईजी तक से कोऑर्डिनेट कर ऑक्सिजन की सप्लाई सुनिश्चित की। इतने कम समय में इतनी भारी संख्या में ऑक्सिजन की सप्लाई बेहद चुनौतीपूर्ण था जिसे हमारी टीम ने बखूबी कर दिखाया है।’

ऑक्सिजन की कमी पर सुप्रीम कोर्ट भी सख्तबता दें कि कोरोना वायरस के मामलों में आई तेजी के चलते ऑक्सिजन संकट अचानक गहरा गया। जिसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों इसका स्वत: संज्ञान लिया था। इस मामले पर कोर्ट में मंगलवार को भी सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय आपदा है। इसमें मूकदर्शक बने नहीं रह सकते हैं। इसके लिए हमें रणनीति बनानी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि केंद्र ने इस पर क्या कदम उठाए हैं और क्या योजना बनाई है? सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के हालात को ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ करार दिया था। साथ ही केंद्र सरकार से ऑक्सिजन और आवश्यक दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय योजना पेश करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से गुरुवार तक स्वास्थ्य ढांचों पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होनी है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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