चीन और नेपाल बॉर्डर पर बसे गांवों में आ रही है वैक्सिनेशन में दिक्कत

चीन और नेपाल बॉर्डर पर बसे गांवों में आ रही है वैक्सिनेशन में दिक्कत
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नई दिल्ली
उत्तराखंड में चीन और नेपाल सीमा से लगते कई इलाकों में कोरोना की वैक्सीन नहीं लग पा रही है। यहां रहने वाले लोग परेशान हैं साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इसे लेकर चिंतित हैं। वैक्सिनेशन की प्रक्रिया ऑनलाइन हो रही है और चीन-नेपाल बॉर्डर के कई इलाके ऐसे हैं जहां मोबाइल नेटवर्क ही नहीं है, इंटरनेट तो यहां के लिए दूर का सपना है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में धारचूला, मुनस्यारी तहसील में कई ऐसे इलाके हैं जहां भारत का कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं चलता।

नेटवर्क नहीं होने से हो रही समस्या
पिथौरागढ़ के सीएमओ डॉ. एचसी पंत ने कहा कि पिथौरागढ़ जिले में जो ऊंचाई वाले इलाके हैं जैसे मुनस्यारी, धारचूला, ये शेडो एरिया में आते हैं। यहां वैक्सिनेशन में बहुत दिक्कत हो रही है। उन्होंने कहा कि जैसे धारचूला के पास बलुवाकोट, जौलजीबी, बरम, बंगापानी जैसे कई इलाके हैं जहां फोन या इंटरनेट का कोई नेटवर्क नहीं है। हमने सरकार को इस बारे में अवगत कराया है और मांग की है कि यहां ऑफलाइन वैक्सिनेशन करने की इजाजत दी जाए।

ऑफलाइन टीकाकरण का प्रबंध ही नहीं
अभी तक सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है और हमें इसकी इजाजत नहीं मिली है इसलिए वहां हमें वैक्सिनेशन में परेशानी आ रही है। दरअसल केंद्र सरकार की गाइडलाइन में ऑफलाइन वैक्सिनेशन का कोई फॉरमेट ही नहीं है और न ही इसका कोई जिक्र है कि ऑफलाइन वैक्सिनेशन करना है या किस तरह करना है। नेपाल बॉर्डर के कई इलाके हैं जहां नेपाल की सिम काम करती है और लोग नेपाल की सिम का इस्तेमाल कर फोन पर बात तो कर लेते हैं लेकिन इंटरनेट सेवा नहीं है।

नहीं हो पा रहा है नियमों का सख्ती से पालन
उत्तराखंड में कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना पॉजिटिव की संख्या तो बढ़ ही रही है साथ ही कोरोना से मौत के आंकड़े भी लगातार बढ़ रहे हैं। राज्य में दूसरे राज्यों से आने वालों के लिए भले ही रजिस्ट्रेशन का नियम बनाया है लेकिन इसका सख्ती से पालन होता भी नहीं दिख रहा है। एक जिले से दूसरे जिले में जाने पर फिलहाल कोई पाबंदी नहीं है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैक्सिनेशन जैसे-जैसे ज्यादा होगा वैसे-वैसे कोरोना के मामलों में कमी आएगी। लेकिन बॉर्डर के इलाकों में मोबाइल – इंटरनेट नेटवर्क ना होना जहां पहले से ही लोगों के लिए सरदर्द बना है वहीं यह नेटवर्क न होना वैक्सिनेशन की राह में भी रोड़ा बन गया है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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