बंगाल चुनाव के चौथे चरण में प्रशांत किशोर की चर्चा, बिहार चुनाव में तो नजर भी नहीं आए
जेडीयू से निष्कासित किए जाने के बाद प्रशांत किशोर ने कहा था कि वह बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में नीतीश कुमार की चूल हिला देंगे। बिहार विधानसभा का चुनाव बीत गया नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार भी बन गई लेकिन इस दौरान प्रशांत किशोर कहीं नजर नहीं आए। दरअसल जेडीयू से निष्कासित होने के बाद प्रशांत किशोर बंगाल चुनाव को लेकर ममता बनर्जी के लिए चुनावी रणनीतिकार बन गए थे।
PM की रैली भीड़ का आना नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता होने के साथ-साथ हिंदू वोटरों का ध्रुवीकरण होना है : PK
दरअसल बंगाल में जो प्रशांत किशोर का ऑडियो वायरल हुआ है इसमें वह कह रहे हैं कि बंगाल में बीजेपी को नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मिल रहा है। इसके अलावा पिछले 20 साल से बंगाल में हुए तुष्टीकरण की वजह से इस चुनाव में पोलराइजेशन भी देखा जा रहा है। ऑडियो में प्रशांत किशोर यह भी कहते सुने जा रहे हैं कि हम लोग सर्वे कर रहे हैं उसमें नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी दोनों की लोकप्रियता बराबर है। बंगाल के लोगों को लग रहा है कि पिछले 30 सालों में जो उन्हें नहीं मिला अगर बीजेपी की सरकार आ जाती है तो वह मिल जाएगा। प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री की रैली भीड़ का आना नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता होने के साथ-साथ हिंदू वोटरों का ध्रुवीकरण होना है। इसके अलावा बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लोगों का गुस्सा भी एक बड़ा फैक्टर है।
दिसंबर 2020 में प्रशांत किशोर ने बंगाल को लेकर की थी भविष्यवाणी
दिसंबर 2020 में प्रशांत किशोर ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले के बाद चुप्पी साधने वाले प्रशांत किशोर ने, गृह मंत्री अमित शाह के दो दिवसीय बंगाल दौरे के बाद ट्वीट कर बीजेपी पर हमला किया था। प्रशांत किशोर ने ट्वीट में लिखा था कि BJP समर्थित मीडिया के एक धड़े की ओर से राजनीतिक हवा बनाई जा रही है।हकीकत में, बीजेपी को पश्चिम बंगाल में दहाई अंक से सीटें पार करने में ही संघर्ष करना पड़ेगा। चुनावी रणनीतिकार से भविष्यवक्ता बने प्रशांत किशोर यहीं नहीं रुके थे। उन्होंने आगे कहा, इस ट्वीट को संभाल कर रख लीजिए अगर बीजेपी इससे अच्छा प्रदर्शन करती है तो मैं यह काम छोड़ दूंगा।
अप्रैल 2020 में लॉकडाउन के दौरान कार्गो प्लेन से कोलकाता गए थे प्रशांत किशोर !
2020 में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए जहां केंद्र सरकार ने संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान ट्रेन और विमान सेवा को बंद कर दिया था। उसी दौरान प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने कार्गो प्लेन से कोलकाता गए थे। यह आरोप बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी और जेडीयू की ओर से लगाए गए थे। तब जेडीयू और बीजेपी की तरफ से लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने कहा कि बिना किसी आधार पर उनके ऊपर यह आरोप लगाए जा रहे हैं।
उन्होंने नवभारत टाइम्स.कॉम से बात करते हुए कहा था कि अगर आरोप लगाने वाले यह साबित कर दें कि प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) दिल्ली से या बेंगलुरु से या कहीं और से कोलकाता पहुंचे हैं। किस विमान से कितने बजे वहां पहुंचे हैं, इसका सबूत अगर दे दें, तो वह सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लेंगे। प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने यह भी कहा था कि आरोप लगाने वाले अगर इसे साबित नहीं कर पाते हैं तो उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी। आज ऑडियो वायरल होने के बाद प्रशांत किशोर ने फिर एक ट्वीट किया है।
कैसे शुरू हुआ प्रशांत किशोर का पतन
2015 बिहार चुनाव में महागठबंधन की जीत में अहम रणनीतिकार बनकर उभरे प्रशांत किशोर का नाम PK के तौर पर देश में सुर्खियों में था। 2015 के बिहार चुनाव के बाद PK जेडीयू के उपाध्यक्ष बनाए गए थे। लेकिन 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हे पार्टी से ही निष्कासित कर दिया था। जेडीयू से निकाले जाने के बाद चुनाव के ऐलान के ठीक पहले ‘बात बिहार की’ करने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पूरी तरह से गायब ही हो गए। जेडीयू से निकाले जाने के बाद यह कहा गया था कि ‘PK’ दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल के लिए रणनीति तैयार करने में लगे हैं। उसके बाद कोरोना काल के दौरान उनके कार्गो प्लेन से कोलकाता पहुंचने की बात भी सामने आयी तब पता लगा कि प्रशांत किशोर अब ममता बनर्जी के लिए रणनीति तैयार करने में लगे हैं। लेकिन बंगाल चुनाव प्रचार से लेकर तीन चरण के मतदान तक प्रशांत किशोर का नाम लेने वाला कोई नही था। चौथे चरण के मतदान के दिन ऑडियो वायरल होने के बाद एक बार फिर PK की चर्चा शुरू हो गई है।
‘बात बिहार की’ करने वाले PK अब अपने घर बक्सर तक की नहीं करते बात
कोरोना संक्रमण के दौरान जुलाई 2020 के महीने में प्रशांत किशोर ने बिहार में चुनाव कराए जाने का विरोध किया था। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए नीतीश कुमार पर हमला किया था और लिखा था नीतीश जी यह चुनाव नहीं कोरोना है लोगों की जिंदगी को चुनाव कराने की जल्दी में खतरे में मत डालिए। लेकिन बिहार में विधानसभा के चुनाव समय पर हुए नीतीश के नेतृत्व में NDA की सरकार भी बनी। लेकिन इस बीच PK ना तो बिहार में न सोशल मीडिया दिखे और ना ही बक्सर के अहिरौली स्थित अपने घर पर दिखे थे।
दरअसल अनुशासनहीनता के आरोप में जेडीयू से बाहर निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ मंच की शुरुआत की थी। PK अपने इस गैर-राजनीतिक मंच से युवाओं को जोड़कर बिहार में जमीनी स्तर के नेतृत्व को खड़ा करने की तैयारी कर रहे थे। प्रशांत किशोर का ‘बात बिहार की’ अभियान बिहार में लांच होते ही पहले ही दिन हिट हो गया था। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद अब खुद प्रशांत किशोर भी ‘बात बिहार की’ नही करते। यानी प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ के नाम से जो कैंपेन शुरू किया था वो फ्लाप हो चुका है।
क्या किसी योजना के तहत किया गया है पत्रकारों के साथ PK का ऑडियो चैट वायरल
पटना के रहने वाले निर्मल कुमार सिन्हा का कहना है कि पिछले एक साल से चुनावी रणनीतिकार कहे जाने वाले प्रशांत किशोर का नाम लेने वाला कोई नहीं था। जबकि वह पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए चुनावी रणनीतिकार के तौर पर काम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नवंबर 2020 से ही बंगाल में चुनाव प्रचार शुरू हो गया था। लेकिन प्रशांत किशोर ना तो चुनाव प्रचार के दौरान ही नजर आए ना ही बंगाल के तीन चरण के मतदान के दौरान ही नजर आए।
निर्मल कुमार सिन्हा का कहना है कि हो सकता है कि पत्रकारों के साथ अपने बातचीत का ऑडियो चैट खुद प्रशांत किशोर ने ही वायरल कराया हो। ताकि वह चुनाव के दौरान मीडिया में सुर्खियां बटोर सके। वही पटना के ही रहने वाले पंकज कुमार सिंह का भी कहना है कि अगर किसी एक व्यक्ति में चुनाव जिताने की क्षमता होती तो वह व्यक्ति खुद ही किसी राज्य का मुख्यमंत्री बन जाता है। पंकज कुमार सिंह का कहना है कि प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार नहीं बल्कि विशुद्ध रूप से एक व्यापारी और इवेंट मैनेजर है।
साभार : नवभारत टाइम्स