किसान आंदोलन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा- पब्लिक रोड ब्लॉक नहीं होने चाहिए

किसान आंदोलन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा- पब्लिक रोड ब्लॉक नहीं होने चाहिए
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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा है कि पब्लिक रोड ब्लॉक नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने नोएडा नोएडा बेस्ड एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी कही। महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि नोएडा से दिल्ली जाने में 20 मिनट के बजाय दो घंटे लगते हैं। इस मामले में कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि हमने पहले भी कहा है कि पब्लिक स्ट्रीट ब्लॉक नहीं होना चाहए। सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने पेश होते हुए कहा कि इस मामले में हरियाणा और यूपी को भी दखल देने की इजाजत होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत देते हुए दोनों राज्यों को नोटिस जारी कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि पब्लिक स्ट्रीट ब्लॉक नहीं होना चाहिए। अदालत ने कहा कि यह बात हम पहले भी कई बार कह चुके हैं। अदालत ने कहा कि हमें नहीं पता कि आप (प्रतिवादी सरकारें) कैसे इस समस्या का निदान करेंगे चाहे राजनीतिक तौर पर या फिर प्रशासनिक तौर पर या फिर न्यायिक तौर पर। लेकिन सड़क ब्लॉक नहीं होना चाहिए। नोएडा बेस्ड सिंगल मदर इस तरह से सड़क ब्लॉक होने से परेशान हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 19 अप्रैल की तारीख तय कर दी है।

मार्च के आखिरी हफ्ते में नोएडा की रहने वाली एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा था कि नोएडा से दिल्ली जाने में 20 मिनट के बजाय दो घंटे लगते हैं और ये बुरे सपने की तरह है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई का फैसला किया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। महिला ने अर्जी में कहा है कि सड़क क्लियर रखने को सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि लोगों को आने-जाने में परेशानी न हो।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुआई वाली बेंच के सामने महिला खुद पेश हुई थीं और कहा कि वह नोएडा में रहती हैं और दिल्ली मार्केटिंग जॉब के कारण जाती हैं। अदालत ने कई बार आदेश पारित किए हैं कि लोगों को आने-जाने के लिए सड़कें खाली होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। वह सिंंगल पैरेंट्स हैं और कुछ मेडिकल समस्याएं भी हैं लेकिन नोएडा से दिल्ली जाना एक बुरे सपने की तरह हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि महिला ने जो आरोप लगाया है अगर ऐसा है तो ये प्रशासनिक विफलता है क्योंकि इस मामले में अदालती आदेश पहले हो चुका है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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