किसान आंदोलन के बीच बोले पीएम मोदी, कृषि को आधुनिक बनाने की जरूरत

किसान आंदोलन के बीच बोले पीएम मोदी, कृषि को आधुनिक बनाने की जरूरत
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नयी दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि कृषि क्षेत्र में आधुनिकीकरण की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि पहले ही बहुत समय बर्बाद हो चुका है।‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने भारत में कोविड-19 के खिलाफ चलाए जा रहे दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की तारीफ की और ‘दवाई भी, कड़ाई भी’ की बात पर जोर दिया।

पीएम मोदी ने किया ताली-थाली का जिक्र उन्होंने पिछले साल के ‘ताली थाली’ और दीपक जलाने के अभियान को याद करते हुए कहा कि यह अभियान ‘कोरोना योद्धाओं’ के दिल को छू गया। उन्होंने कहा, ‘यही कारण था कि वह बिना रुके, बिना थके पूरे साल डटे रहे। उन्होंने अडिग होकर देश के प्रत्येक नागरिक की जान बचाने के लिए संघर्ष किया।’

मन की बात’ की 75वीं कड़ीउन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में आधुनिक पद्धतियां अपनाना आवश्यक है और जीवन के हर आयाम में नयापन, आधुनिकीकरण अनिवार्य है।प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ की 75वीं कड़ी में कहा, ‘भारत के कृषि क्षेत्र में आधुनिकीकरण वक्त की जरूरत है। इसमें देरी की गई और हमने पहले ही बहुत समय गंवा दिया है।’ उन्होंने कहा, ‘कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करने, किसानों की आय बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि खेती के पारंपरिक तरीकों के साथ ही नए विकल्पों, नवोन्मेष को अपनाया जाए।’

मोदी ने श्वेत क्रांति का किया जिक्रमोदी ने कहा कि देश ने श्वेत क्रांति के दौरान यह देखा और मधुमक्खी पालन भी ऐसे ही विकल्प के रूप में सामने आ रहा है। प्रधानमंत्री ने कृषि में ऐसे समय में आधुनिक तरीके अपनाने का आह्वान किया जब सैकड़ों किसान तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं- गाजीपुर, सिंघू और टीकरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। सरकार का कहना है कि इन कानूनों से किसानों की आय बढ़ेगी और वे देश में कहीं भी अच्छे दाम पर अपनी फसल बेच सकेंगे।

इन किसानों का दिया उदाहरण मोदी ने कहा कि देश में मधुमक्खी पालन, शहद या मीठा क्रांति की आधारशिला बन रहा है और बहुत से किसान इसे अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र के प्राकृतिक ऑर्गेनिक शहद की देश और विदेश में बहुत मांग है। प्रधानमंत्री ने गुजरात के बनासकांठा और हरियाणा के यमुनानगर का उदाहरण देते हुए कहा कि इन क्षेत्रों के किसानों ने मधुमक्खी पालन अपना कर अपनी आय में वृद्धि की है।

मधुमक्खी पालन पर जोर उन्होंने कहा, ‘मधुमक्खी पालन से केवल शहद से ही आय नहीं होती बल्कि मधुमक्खी का मोम भी आय का अच्छा स्रोत है। मधुमक्खी के मोम की मांग हर चीज में है… दवा कंपनियां, खाद्य पदार्थ, कपड़ा और सौंदर्य प्रसाधन।’ उन्होंने कहा, ‘आज हमारा देश मधुमक्खी का मोम आयात करता है लेकिन हमारे किसान तेजी से स्थिति में परिवर्तन ला रहे हैं… और इस तरह वे आत्मनिर्भर अभियान में योगदान दे रहे हैं।’

रेडियो पर प्रसारित कार्यक्रम के दौरान मोदी ने यह भी याद किया कि पिछले साल मार्च में देश ने पहली बार जनता कर्फ्यू के बारे में सुना था।प्रधानमंत्री की अपील पर पिछले साल 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया था। उन्होंने कहा, ‘शुरुआत से ही भारत के लोगों ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ी।’ मोदी ने कहा कि पिछले साल इस वक्त यह सवाल खड़ा था कि क्या कोविड-19 के लिए कोई टीका आएगाा और यह कब तक आएगा।

उन्होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भारत में चलाया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने सभी से टीका लगवाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “हम पूरे देश से ऐसी खबरें सुन रहे हैं जिसने हमारे दिलों को छू लिया है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर की रहने वाली 109 वर्षीय मां राम दुलैया जी ने टीका लगवाया है। इसी प्रकार दिल्ली के 107 वर्षीय केवल कृष्ण जी ने टीका लगवाया है। हैदराबाद के 100 वर्षीय जय चौधरी जी ने भी टीके की खुराक ली है। मैं सभी से टीका लगवाने का आग्रह करता हूं।”

उन्होंने कहा, “मैं देख रहा हूं कि अपने घर के वयोवृद्ध सदस्यों को टीका लगवाने के बाद लोग ट्विटर फेसबुक पर चित्र साझा कर रहे हैं। केरल के एक युवा आनंदन नायर ने इसे ‘वैक्सीन सेवा’ नाम दिया है।” मोदी ने यह भी कहा कि भारत की ‘नारी शक्ति’ खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही है और उन्होंने क्रिकेटर मिताली राज और बैटमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधु के हाल के प्रदर्शन की तारीफ की। प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी वर्ल्ड कप में भारतीय खिलाडियों के प्रदर्शन की भी तारीफ की।

उन्होंने लाइटहाउस के बारे में कहा कि भारत कुछ लाइटहाउस में पर्यटन की सुविधा के लिए काम कर रहा है। इसके साथ ही मोदी ने लाइटहाउस की देखभाल करने वालों की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह दुखद है कि वर्ष 2004 में आई सुनामी में हमने कई लाइटहाउस संचालकों को खो दिया।” ‘मन की बात’ की 75 कड़ी पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में ‘‘हमने यह सफर शुरू किया था’’ लेकिन ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात हो।

साभार : नवभारत टाइम्स

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