गौतम नवलखा की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
ने भीमा कोरेगांव से संबंधित मामले में आरोपी एक्टिविस्ट की जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में डिटेल सुनवाई के बाद पैसला सुरक्षित रख लिया है।
नवलखा की ओर से सीनियर एडवोेकेट कपिल सिब्बल पेश हुए और एनआईए की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए। अदालत ने एक्टिविस्ट गौतम नवलखा की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान एनआईए को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। गौतम नवलखा के खिलाफ एलगार परिषद- माओवादी संबंध मामले में एफआईआर दर्ज किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में नवलखा की ओर से बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमेंं हाई कोर्ट ने 8 फरवरी को जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। नवलखा की ओर से कपिल सिब्बल ने दलील पेश करते हुए कहा था कि इस मामले में नवलखा को जमानत दी जानी चाहिए। याची ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं किए जाने के आधार पर जमानत की गुहार को हाई कोर्ट ने ठुकरा दिया था।
नवलखा ने जमानत की मांग करते हुए कहा था कि गिरफ्तारी के 90 िदनों के भीतर एनआईए ने चार्जशीट दाखिल नहीं की और ऐसे में सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। नवलखा की अर्जी में कहा गया है कि उन्हें हाउस अरेस्ट किया गया था और उस अवधि को भी कस्टडी पीरियड में जोड़ा जाना चाहिए। बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाउस अरेस्ट की अवधि को कस्टडी पीरियड नहीं माना और कहा कि इस अवधि को दिल्ली हाई कोर्ट ने अवैध हिरासत करार दिया है ऐसे में हाउस अरेस्ट की अवधि को कस्टडी पीरियड में नहीं माना जाएगा। हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
साभार : नवभारत टाइम्स