फर्जी केस में फंसाए गए लोगों को मुआवजा की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

फर्जी केस में फंसाए गए लोगों को मुआवजा की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
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नई दिल्ली
ने उस याचिका को एग्जामिन करने का फैसला किया है, जिसमें गलत तरीके से केस में फंसाए गए लोगों को मुआवजा के लिए गाइडलाइंस बनाए जाने का निर्देश की मांग की गई है। ने यह याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी पर सुनवाई के दौरान जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।

इस मामले में बीजेपी के एक अन्य नेता की ओर से भी अर्जी दाखिल की गई थी,जिसे अश्विनी उपाध्याय की पेंडिंग याचिका के साथ टैग कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में अश्विनी उपाध्याय की ओर से 11 मार्च को अर्जी दाखिल कर फर्जी केस में फंसाने के मामले में ऐसे विक्टिम को मुआवजा दिए जाने के लिए गाइडलाइंस के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में यूपी के विष्णु तिवारी केस का हवाला दिया गया जिन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बरी करते हुए कहा कि उन्हें आपसी झगड़े के कारण रेप और एससीएसटी केस में फंसाया गया वह 20 साल जेल में रहा था। सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई थी कि केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया जाए कि वह ऐसे विक्टिम को मुआवजा देने के लिए गाइडलाइंस तैयार करें और इस बाबत लॉ कमिशन की रिपोर्ट को लागू करें।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार और तमाम राज्य सरकारों को प्रतिवादी बनाते हुए एडवोेकेट अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद-32 के तहत रिट याचिका दायर की गई है और कहा गया है कि यूपी में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विष्णु तिवारी को 28 जनवरी 2021 को बरी किया था। विष्णु 20 साल जेल में बंद रहा था। उस पर रेप और एससी एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था।

हाई कोर्ट की डबल बेंच ने अपने फैसले में कहा कि विष्णु तिवारी को जमीन विवाद के कारण रेप और जातिसूचक शब्द कहने के मामले में फंसाया गया था। अपनी अर्जी में याचिकाकर्ता ने कहा कि विष्णु तिवारी जैसे विक्टिम को मुआवजा दिए जाने के लिए गाइडलाइंस की जरूरत है। इसके लिए लॉ कमिशन की 277 रिपोर्ट को लागू किया जाए। ऐसे विक्टिम जिन्हें फर्जी केस में फंसाया जाता है ,उनको मुआवजा देने के लिए गाइडलाइंस बनाए जाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए और राज्यों को निर्देश दिया जाए कि वह गाइडलाइंस का पालन करें। बाद में कपिल मिश्रा ने भी अर्जी दाखिल की है दोनों याचिका को साथ में जोड़ दिया गया है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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