सकारात्मक कदम के तौर पर राज्यों को ज्यादा शिक्षण संस्थान खोलने चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सकारात्मक कदम के तौर पर राज्यों को ज्यादा शिक्षण संस्थान खोलने चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली
मराठा रिजर्वेशन के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान ने कहा है कि राज्यों को चाहिए कि वह शिक्षा को प्रोमोट करने के लिए और ज्यादा इंस्टिट्यूट खोलें ताकि सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर जो बैकवर्क क्लास है, उसे ऊपर लाने में मदद मिले। सकारात्मक कदम उठाए जाएं , राज्य को सिर्फ रिजर्वेशन देने तक सीमित नहीं रहना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच मराठा रिजर्वेशन मामले की सुनवाई कर रही है। जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि वह इस बात का परीक्षण करेगा कि क्या इंदिरा साहनी जजमेंट यानी मंडल जजमेंट को दोबारा देखने की जरूरत है या नहीं। क्या मंडल जजमेंट को लार्जर बेंच को भेजने की जरूरत है या नहीं। इंदिरा साहनी जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन के लिए 50 फीसदी की लिमिट तय कर रखी है।

सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़े लोगों की बेहतरी के लिए काफी कुछ किया जा सकता है। राज्य और चीजें क्यों नहीं करती। क्यों नहीं ज्यादा से ज्यादा एजुकेशनल इंस्टिट्यूट खोला जाता है? सकारात्मक कदम सिर्फ रिजर्वेशन नहीं हो सकता है।

झारखंड सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पेश हुए और उन्होंने दलील में कहा कि इसके लिए वित्तीय संशाधन की जरूरत होगी। देश में अलग-अलग राज्यों में रिजर्वेशन अलग-अलग जनसंख्या पर निर्भर करता है और इसके लिए कोई सीधा साधा फॉर्मूला नहीं हो सकता है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश पीएस पटवालिया ने कहा कि इस मुद्दे पर राज्य में आंदोलन भी हुआ था। महाराष्ट्र के लिए यह मुद्दा ज्वलंत मुद्दा है। एक रैली जब मुंबई में हुई थी तो पूरा शहर ठहर सा गया था। राज्य का ये बहुत बड़ा सामाजिक मुद्दा है। अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर रिजर्वेशन के लिए 50 फीसदी की लिमिट नहीं रही तो फिर समानता के अधिकार का क्या होगा? नौकरी और एजुकेशन में कितने जनरेशन रिजर्वेशन चलता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तमाम राज्यों से जवाब दाखिल करने को कहा था कि क्या विधायिका इस बात को लेकर सक्षम है कि वह रिजर्वेशन देने के लिए किसी जाति विशेष को सामााजिक और शैक्षणिक रूप से बैकवर्ड घोषित कर सके।

सुप्रीम कोर्ट 102 संशोधन के व्याख्या के सवाल को भी देख रहा है। 9 दिसंबर को महाराष्ट्र में नौकरी और एजुकेशनल इंस्टिट्यूट में मराठा रिजर्वेशन पर अंतरिम रोक लगाए जाने के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बदलाव से मना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मराठा को 12 फीसदी से लेकर 13 फीसदी तक रिजर्वेशन देने की बात की थी। मराठा रिजर्वेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई है जिस पर सुनवाई चल रही है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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