निर्भया के गुनाहगारों की मौत के बाद से बंद पड़ी है तिहाड़ की वो फांसी कोठी

निर्भया के गुनाहगारों की मौत के बाद से बंद पड़ी है तिहाड़ की वो फांसी कोठी
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप के चारों गुनहगारों को पिछले साल 20 मार्च की सुबह करीब 5:30 बजे तिहाड़ की जेल नंबर-3 में एक साथ फांसी पर लटका दिया गया था। इसके बाद से तिहाड़ की जेल नंबर-3 में बनी फांसी कोठी पर ताला लटका हुआ है। फांसी के तख्ते के आसपास लंबी-लंबी घास उग आई है। अब यह ताला तभी खुलेगा, जब तिहाड़ जेल में बंद किसी और कैदी को फांसी पर लटकाया जाएगा। इसकी चाबी सुरक्षित लॉकर में रखी हुई है।

तिहाड़ जेल अधिकारियों का कहना है कि तिहाड़ जेल में बंद 18 हजार से अधिक कैदियों में से मौजूदा समय में 12 कैदी ऐसे हैं, जिन्हें फांसी की सजा मिली हुई है। लेकिन इनके मामले किसी न किसी जगह विचाराधीन चल रहे हैं। यानी तुरंत किसी भी कैदी को फांसी पर नहीं लटकाया जाना है। इनमें आतंकवादी आरिज खान उर्फ जुनैद भी शामिल है, जिसे 15 मार्च को अदालत ने बटला हाउस एनकाउंटर मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है।

अधिकारियों ने बताया कि 20 मार्च 2020 की सुबह फांसी पर लटकाए गए निर्भया गैंगरेप के चारों कातिलों के बाद जेल में कुछ नहीं बदला है। जिस-जिस सेल में भी ये चारों कातिल रहे थे, उन सभी में अन्य कैदी आ चुके हैं। जिन 12 कैदियों को फिलहाल फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है वे सभी तिहाड़ की अलग-अलग जेल में बंद हैं। इनमें से अधिकतर अन्य कैदियों के साथ रह रहे हैं। लेकिन, जैसे ही इनमें से किसी को फांसी पर लटकाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच जाएगी, इन्हें बाकी कैदियों से अलग कर दिया जाएगा।

जेल अधिकारी बताते हैं कि कैदी को फांसी पर लटकाने के लिए नियमों के मुताबिक किसी जल्लाद की जरूरत नहीं है। जेल मैनुअल के हिसाब से जेल का भी कोई अधिकारी या स्टाफ फांसी दे सकता है। लेकिन पुरानी परंपरा के चलते फांसी देने के लिए जल्लाद को बुलाया जाता है।

साभार : नवभारत टाइम्स

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.