'कांग्रेस सरकार ने कृषि भवन और शास्त्री भवन जैसी दोयम दर्जे की इमारतें बनवाईं'

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नई दिल्ली
केंद्रीय आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को पर , शास्त्री भवन और निर्माण भवन जैसी ‘दोयम दर्जे’ की इमारतें बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये इमारतें ऐसी नहीं हैं कि इनका कार्यालय के तौर पर उपयोग किया जा सके।

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस की अमी याज्ञिक के प्रश्न के उत्तर में कहा , ‘अगर कृषि भवन, शास्त्री भवन, निर्माण भवन जैसी इमारतों को गिराया जाएगा तो इसके लिए आप जिम्मदार होंगे क्योंकि इनका निर्माण आपने किया और ये दोयम दर्जे की इमारतें हैं। ये इमारतें ऐसी नहीं हैं कि इनका कार्यालय के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके।’

उन्होंने कहा कि ये इमारतें कांग्रेस के शासनकाल के दौरान बनाई गई थीं। याज्ञिक ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के संबंध में उच्चतम न्यायालय में दाखिल किए गए एक हलफनामे के बारे में पूछा था जिसके जवाब में पुरी ने कहा कि सरकार को इसमें पूछे गए ब्यौरे के बारे में बता कर खुशी होगी।

उन्होंने बताया, ‘अब तक सरकार ने सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के लिए और संसद की नयी इमारत का निर्माण 2022 तक करने के लिए आवश्यक मंजूरी हासिल कर ली है। अब अगला कदम 90 एकड़ क्षेत्र में स्थित कार्यालयों के स्थानांतरण का है। नए केंद्रीय सचिवालय के निर्माण के दौरान कुछ ही इमारतों को गिराया जाएगा। लेकिन एक भी ऐतिहासिक इमारत को या महत्वपूर्ण इमारत को नहीं गिराया जाएगा।’

पुरी ने कहा कि सभी सरकारी कार्यालयों को केंद्रीय सचिवालय परिसर में लाए जाने का विचार है जहां 50,000 कर्मियों के काम करने की जगह होगी। उन्होंने कहा कि यह सब भूमिगत शटल टनल के माध्यम से जुड़ा होगा ताकि यातायात आसान हो। अभी इसपर अंतिम निर्णय लिया जाना है। हमारे पास एक मास्टर प्लान है। प्रत्येक कदम चाहे वह लागत से जुड़ा हो, समय से जुड़ा हो या अन्य हो… समय के साथ ही उठाया जाएगा। लेकिन निर्माण समय पर पूरा हो जाएगा।

उनसे पूछा गया कि क्या राज्य स्तर पर भी सेंट्रल विस्टा परियोजना की तरह ही परियोजना के कार्यान्वयन का विचार है क्योंकि वहां कई सरकारी कार्यालय किराए की इमारतों में काम कर रहे हैं। इस पर पुरी ने कहा, ‘संघीय ढांचा होने की वजह से ऐसी सिफारिश राज्य सरकारों की ओर से आनी चाहिए। अब किसी भी राज्य सरकार की ओर से ऐसी कोई मांग नहीं आई है।’

पुरी ने हालांकि उम्मीद जताई कि परियोजना से प्रेरित हो कर कुछ राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएंगी कि सभी सरकारी इमारतें, सरकारी विभाग और संबद्ध कार्यालय एक ही स्थान पर हों। यह पूछे जाने पर कि परियोजना के पूरी हो जाने के बाद संसद की पुरानी इमारत का क्या उपयोग किया जाएगा, पुरी ने कहा कि पहले तो इसकी मरम्मत की जाएगी ताकि इसका वैकल्पिक उपयोग हो सके। उन्होंने कहा कि नयी इमारत के बनने के बाद पुरानी इमारत का क्या उपयोग किया जाएगा, इस बारे में अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

उन्होंने कहा कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के दायरे में आने वाले अस्थायी कार्यालयों, ढांचों को हटाया जाएगा लेकिन तब, जब उनके लिए समुचित व्यवस्था की जाएगी। इन कार्यालयों को कस्तूरबा गांधी मार्ग या अफ्रीका एवेन्यू में स्थानांतरित किया जाएगा

उन्होंने यह भी बताया कि सेंट्रल विस्टा परियोजना में दिल्ली के अलग अलग स्थानों पर स्थित सरकारी कार्यालयों को एक जगह लाने का प्रस्ताव है। इनमें उपराष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री आवास, केंद्रीय सचिवालय आदि भी शामिल हैं। पुरी ने उम्मीद जताई कि 2022 में संसद का शीतकालीन सत्र नयी इमारत में आयोजित किया जाएगा। 2022 में भारत की आजादी के 75 साल पूरे हो जाएंगे।

साभार : नवभारत टाइम्स

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