UP में निर्दोष ने 20 साल काटे जेल में, जानें सुप्रीम कोर्ट में क्यों हो रही इस केस की चर्चा

UP में निर्दोष ने 20 साल काटे जेल में, जानें सुप्रीम कोर्ट में क्यों हो रही इस केस की चर्चा
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्ली
फर्जी केस में फंसाने के मामले में ऐसे विक्टिम को मुआवजा दिए जाने के लिए गाइडलाइंस के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट में यूपी के विष्णु तिवारी केस का हवाला दिया गया जिन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बरी करते हुए कहा कि उन्हें आपसी झगड़े के कारण रेप और एससी/एसटी केस में फंसाया गया। वह 20 साल जेल में रहे। सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया जाए कि वह ऐसे विक्टिम को मुआवजा देने के लिए गाइडलाइंस तैयार करें और इस बाबत लॉ कमिशन की रिपोर्ट को लागू करें।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार और तमाम राज्य सरकारों को प्रतिवादी बनाते हुए ऐडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद-32 के तहत रिट याचिका दायर की गई है और कहा गया है कि यूपी में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विष्णु तिवारी को 28 जनवरी 2021 को बरी किया था। विष्णु 20 साल जेल में बंद रहा था। उस पर रेप और एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। हाई कोर्ट की डबल बेंच ने अपने फैसले में कहा कि विष्णु तिवारी को जमीन विवाद के कारण रेप और जातिसूचक शब्द कहने के मामले में फंसाया गया था। अपनी अर्जी में याचिकाकर्ता ने कहा कि विष्णु तिवारी जैसे विक्टिम को मुआवजा दिए जाने के लिए गाइडलाइंस की जरूरत है। इसके लिए लॉ कमिशन की 277 रिपोर्ट को लागू किया जाए। ऐसे विक्टिम जिन्हें फर्जी केस में फंसाया जाता है उनको मुआवजा देने के लिए गाइडलाइंस बनाए जाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए और राज्यों को निर्देश दिया जाए कि वह गाइडलाइंस का पालन करें।

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान का कस्टोडियन है और वह नागरिकों की लाइफ और लिबर्टी का संरक्षक है। सुप्रीम कोर्ट को अधिकार है कि वह गाइडलाइंस बनाने के लिए निर्देश जारी करे, जिन्हें फर्जी केसों में फंसाया जाता है। उनके मुआवजे के लिए कोई भी कानूनी मैकेनिज्म नहीं है। इस कारण विक्टिम के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। ऐसे विक्टिम के समानता का अधिकार और जीवन व लिबर्टी के अधिकारों का हनन हो रहा है। जिन निर्दोष लोगों को पुलिस की तरफ से फर्जी केसों में फंसाया जाता है उनका परिवार तबाह हो जाता है। कई बार उनके जीवन में कोई उम्मीद नहीं बचती तो वह आत्महत्या तक के लिए मजबूर हो जाते हैं।

याचिका में कहा गया है कि राज्य अपने अधिकारियों के करतूत के लिए जिम्मेदार हैं और अगर किसी राज्य के अधिकारी डैमेज करते हैं तो उसकी भरपाई की जिम्मेदारी राज्य की है। अभी मुआजवा के लिए कोई मैकेनिज्म और गाइडलाइंस नहीं है। ऐसे में विष्णु तिवारी और ऐसे तमाम विक्टिम जिन्हें फर्जी केस में फंसाया जाता है, वैसे लोगों को मुआवजा देने के लिए गाइडलाइंस बनाए जाने की जरूरत है और ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई जाती है कि वह केंद्र सरकार को निर्देश जारी कर गाइडलाइंस बनाने को कहें। राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह ऐसे गाइडलाइंस पर अमल करें।

साभार : नवभारत टाइम्स

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.