गणतंत्र दिवस पर पीएम मोदी ने क्यों पहनी ये खास पगड़ी? जानें जामनगर के महाराजा से क्या है कनेक्शन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर गणतंत्र दिवस पर खास तरह की पगड़ी/साफा में नजर आते है। इस साल उन्होंने जो पगड़ी पहनी, वह कई मायनों में बेहद खास थी। कोविड काल में एक तो पीएम मोदी ने साफे से परहेज किया। ऊपर से केसरिया रंग की इस पगड़ी से जुड़ा अपना इतिहास भी है। यह पगड़ी गुजरात के जामनगर से खासतौर पर प्रधानमंत्री मोदी के लिए आई थी। वहां के शाही परिवार ने पीएम मोदी को यह पगड़ी भेंट की थी। आइए जानते हैं कि पीएम मोदी ने परंपरागत साफे के बजाय इस खास पगड़ी को पहनने का फैसला क्यों किया।
Republic Day 2021 Celebration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 72वें गणतंत्र दिवस समारोह के लिए एक खास ‘पगड़ी’ पहनी। यह पगड़ी उन्हें जामनगर के शाही परिवार की ओर से तोहफे में दी गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर गणतंत्र दिवस पर खास तरह की पगड़ी/साफा में नजर आते है। इस साल उन्होंने जो पगड़ी पहनी, वह कई मायनों में बेहद खास थी। कोविड काल में एक तो पीएम मोदी ने साफे से परहेज किया। ऊपर से केसरिया रंग की इस पगड़ी से जुड़ा अपना इतिहास भी है। यह पगड़ी गुजरात के जामनगर से खासतौर पर प्रधानमंत्री मोदी के लिए आई थी। वहां के शाही परिवार ने पीएम मोदी को यह पगड़ी भेंट की थी। आइए जानते हैं कि पीएम मोदी ने परंपरागत साफे के बजाय इस खास पगड़ी को पहनने का फैसला क्यों किया।
मास्क पहनने में नहीं आती कोई परेशानी
पीएम मोदी ने साफे के बजाय पगड़ी इसलिए चुनी क्योंकि इसमें कान खुले रहते हैं। इससे वह जरूरत पड़ने पर मास्क लगा सकते हैं और उन्होंने ऐसा किया भी।
जामनगर का खास तोहफा है ये पगड़ी
यह पगड़ी मोदी के गृह राज्य गुजरात के जामनगर से आई है। वहां के शाही परिवार ने यह पगड़ी मोदी को भिजवाई थी। एक तो मास्क पहनने की सुविधा, ऊपर से गृह राज्य का तोहफा, तो मोदी ने गणतंत्र दिवस पर इसे पहनना ठीक समझा।
जामनगर के महाराजा से क्या है कनेक्शन
यह पगड़ी जामनगर के जिस शाही परिवार से आई है, वहां के महाराजा ने दूसरे विश्व युद्ध में पोलैंड के सैकड़ों बच्चों की जान बचाई थी। महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जी को शुक्रिया अदा करने के लिए दो साल पहले पोलैंड की सरकार ने जामनगर में एक कार्यक्रम भी आयोजित किया था। महाराज का 1966 में निधन हो गया था।
1939 में पोलैंड पर जर्मनी के साथ-साथ सोवियत यूनियन ने भी हमला कर दिया था। मजबूरन हजारों पोलिश नागरिकों को साइबेरिया भागना पड़ा। 1941 में जर्मनी ने सोवियत यूनियन पर हमला कर दिया। सालभर बाद कुछ पोलिश शरणार्थियों को देश छोड़ने की अनुमति दे दी गई। इतिहास के अनुसार, उस वक्त करीब 1000 बच्चे नवा नगर (अब जामनगर) आए। उस वक्त वहां महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जी का राज था। महाराजा ने ने सिर्फ चार साल तक उन्हें संरक्षण दिया, बल्कि उनके लिए एक खास कैम्प भी लगवाया ताकि वे बच्चे अपनी संस्कृति में ही पले-बढ़े।
साभार : नवभारत टाइम्स