सोनिया गांधी की असंतुष्ट नेताओं के साथ 7 घंटे चली बैठक, जानें क्या हुई चर्चा
के अंदर पिछले कुछ दिनों से उठी बागी आवाजों पर अभी तात्कालिक विराम लगता दिख रहा है। लेकिन नेतृत्व को लेकर अभी भी स्पष्टता नहीं है। असंतुष्ट नेताओं को से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन वे चाहते हैं कि इस बारे में जाे भी फैसला हो लेकिन जल्द हो जाए।
वहीं राहुल गांधी अभी भी अपने पुराने स्टैंड पर कायम हैं कि उन्हें जो जिम्मेदारी पार्टी देगी वह उसे संभालने को तैयार हैं। शनिवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर हुई कांग्रेस नेताओं की बैठक में यह बात सामने आई । यह मीटिंग असंतुष्ट नेताओं की ओर से पिछले कुछ दिनों से लगातार चिठ्ठी लिखने और अलग-अलग फोरम पर बयान देने के बाद बुलायी गई थी।
साेनिया गांधी ने सभी को बोलने का पूरा मौका दिया
सूत्रों के अनुसार सात घंटे से ऊपर चली मीटिंग में सोनिया गांधी ने सभी नेताओं को खुलकर बोलने का मौका दिया।इसके बाद चिदंबरम , कमलनाथ, आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद,अशोक गहलोत और हरीश रावत सहित तमाम नेताओं ने अपनी बात रखी। सूत्रों के अनुसार जिन 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को तल्ख चिट्ठी लिखी थी,उनके तेवर भी मीटिंग में नरम थे।
सभी नेताओं ने एकजुट होकर जल्द से जल्द सक्रियता बढ़ाने पर बल दिया। हालांकि मीटिंग में कपिल सिब्बल नहीं आए थे। चिट्ठी लिखने वालों में वह भी शामिल थे। मीटिंग में रणदीप सुरजेवाला और केसी वेणुगोपाल भी नहीं थे। सूत्रों के अनुसार कुछ सीनियर नेताओं ने टीक राहुल के कुछ करीबी मेंबर पर जरूर नाराज दिखे और कहा कि उनका अनावश्यक हस्तक्षेप जरूर कम हो सकता है।
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निया गांधी ने किया बीच-बचाव
सोनिया गांधी ने मीटिंग में सभी की बात सामने आने के बाद बीच बचाव कर हालात को नरम करने में सफलता पायी। सोनिया ने भरोसा दिलाया कि जल्द पार्टी में चुनाव प्रक्रिया को किया जाएगा। साथ ही कुछ नेताओं की ओर से चिंतन शिवर आयोजित करने के प्रस्ताव को भी स्वीकार किया। सोनिया गांधी ने नेताओं से कहा कि अगर वे अपनी बात सीधे संवाद के रूप स्थापित करते रहेंगे तो ऐसी स्थिति नहीं आएगी। सोनिया गांधी ने खेमेबाजी में बंटी पार्टी में नेताओं की ओर से सार्वजनिक मंच पर गुटबाजी की खबरें लीक करने की प्रवृति पर चिंता जताई।
राहुल, प्रियंका भी रहे तल्ख
वहीं सूत्रों के अनुसार मीटिंग में राहुल गांधी ने सीनियर नेताओं के सामने कई मसलों पर बेहद नाराजगी जताई। उन्होंने कइ सीनियर नेताओं से सीधे कहा कि उनकी ओर से राज्यों में पार्टी को मजबूत करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। राहुल ने गुटबाजी पर भी बहुत नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि पार्टी इस तरह से नहीं चलती और जब तक सभी एक इकाई के रूप में आगे नहीं आएंगे तब तक परेशानी होती रहेगी।
ने भी पार्टी में आपसी संवाद को बेहतर बनाने की वकालत की और पार्टी फोरम से बाहर अंदरूनी बात को सामने लाने की प्रवृति पर चिंंता जताई। प्रियंका गांधी ने नेताओं से कहा कि अब बयानबाजी से हटकर सड़क पर उतरने का समय आ गया है।
जल्द हो सकती है मीटिंग
सूत्रों के अनुसार मीटिंग में तल्खी को समाप्त करने में जरूर सफलता मिली लेकिन आगे के रोडमैप पर कोई फैसला नहीं हुआ। सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी ने जरूर संकेत दिया कि अगले कुछ दिनों में अहम फैसले हो सकते हैं। अगले साल जनवरी फरवरी में पार्टी का अधिवेशन का भी एलान हो सकता है जिसमें नये अध्यक्ष का एलान मुमकिन है।
साभार : नवभारत टाइम्स