कानून बनाने से पहले उसका ड्राफ्ट पब्लिक डोमेन में डालना जरूरी, पीएम मोदी को लिखी गई चिठ्ठी

कानून बनाने से पहले उसका ड्राफ्ट पब्लिक डोमेन में डालना जरूरी, पीएम मोदी को लिखी गई चिठ्ठी
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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने पीएम नरेंद्र मोदी को लेटर लिखकर कहा है कि कानून बनाने से पहले उसके ड्राफ्ट को पब्लिक डोमेन में डालना जरूरी है, तभी लोग सुझाव देंगे और जो कानून बनेगा उसमें खामियों की संभावना कम रहेगी। उन्होंने कहा है कि के बारे में भी पहले ड्राफ्ट जनता के सामने नहीं आया। ऐसे में आपसे आग्रह है कि कोई भी नया कानून जब बनाना है तो ड्राफ्ट 60 दिन पहले वेबसाइट पर डाला जाए ताकि लोगों का सुझाव आ सके। कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के बीच ये लेटर महत्वपूर्ण है। इससे एक नई बहस भी छिड़ गई है।

ने कहा है कि कानून बनाने के लिए जो मौजूदा प्रक्रिया अपनाई गई है वह संवैधानिक नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रक्रिया में सेक्रेटरी कानून का ड्राफ्ट तैयार करता है और कैबिनेट उसे पास करती है और जब सदन के सामने उसे पेश किया जाता है तो जनता को उस बारे में थोड़ी सी जानकारी मिल पाती है।

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उपाध्याय ने लेटर के जरिए सुझाव दिया है कि कानून बनाने की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। राष्ट्रीय सुरक्षा को छोड़ अन्य विषय पर जब भी कानून बनाना हो तो दो महीने पहले उसका ड्राफ्ट सरकार की संबंधित मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर आना चाहिए ताकि पब्लिक उसे देख सके। इससे ड्राफ्ट कानून पर चर्चा होगी और एक्सपर्ट की ओपिनियन आएगी। साथ ही उस कानून के बारे में सांसद और विधायक अपने इलाके में चर्चा करेंगे।

इससे आम लोगों के बीच कानून के बारे में पहले ही चर्चा हो चुकी रहेगी और इससे संबंधित तमाम सुझाव मिलेंगे। फिर ड्राफ्ट में जरूरी संशोधन कर नया ड्राफ्ट बनाया जा सकेगा और फिर कैबिनेट के सुझाव भी इसमें शामिल होंगे और फिर संसद के सामने कानून पेश किया जा सकेगा और बहस के बाद कानून बनेगा और इस दौरान सदस्यों के सुझाव भी शामिल होंगे तो फिर गलती का अंदेशा नहीं होगा।

पीएम को लिखे लेटर में उपाध्याय ने ये भी कहा है कि कई बार मौजूदा कानून में मामूली संशोधन की आवश्यकता होती है लेकिन वह न करके नया कानून बना दिया जाता है। अगर आईपीसी की धारा-493 में एक वाक्य जोड़ दिया जाए तो लव जेहाद को रोकने के लिए नए कानून की जरूरत न पड़े। आईपीसी की धारा-484 में एक वाक्य हटा दिया जाए तो बहुविवाह सबके लिए अपराध हो जाएगा।

इसी तरह आईपीसी की धारा-498 ए में एक वाक्य जोड़ दिया जाता तो तीन तलाक के लिए अलग कानून की दरकार नहीं होती। उपाध्याय ने कहा कि कृषि कानून किसान हितैषी है लेकिन कानून बनाने से पहले इसका ड्राफ्ट जनता के सामने नहीं रखा गया और इस का्रण भ्रम की स्थिति बनी है। ऐसे में आपसे आग्रह है कि कोई भी नया कानून जब बनाना है तो पहले ड्राफ्ट 60 दिन पहले वेबसाइट पर डाला जाए।

साभार : नवभारत टाइम्स

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