दुनियाभर में कोरोना से हाहाकार, पर भारत के इस प्रदेश में किसी को छू भी नहीं पाया वायरस!
महामारी () से दुनिया भले जूझ रही हो, लेकिन केंद्र शासित प्रदेश (Lakshadweep) पूरी तरह कोरोना मुक्त है। यहां जनजीवन बिलकुल सामान्य नजर आ रहा है। यहां संक्रमण () का एक भी मामला सामने नहीं आया है। न मास्क, न सैनिटाइजर और कोविड-19 की कई अन्य पाबंदियों का भी यहां कोई चक्कर नहीं दिखता। शादी-ब्याह से लेकर लोगों का मिलना-जुलना समेत सभी गतिविधियां बदस्तूर जारी हैं।
कड़े नियमों की वजह से कोरोना मुक्त है लक्षद्वीप
यह सबकुछ आसानी से हो रहा है क्योंकि अरब सागर में स्थित इस द्वीप पर लोगों के आसानी से प्रवेश को रोकने के लिए एसओपी का बेहद सख्ती से पालन किया जाता है। लोकसभा में लक्षद्वीप का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद पी पी मोहम्मद फैजल के मुताबिक, इस साल के शुरू में ही लक्षद्वीप ने कोविड-19 महामारी को रोक दिया था और आठ दिसंबर तक यहां एक भी मामला सामने नहीं आया था।
आम आदमी हो या सांसद, 7 दिन क्वारंटीन रहने पर ही एंट्री
फैजल ने बताया, ‘हमारी ओर से उठाए गए ऐहतियाती तरीकों की वजह से अब तक लक्षद्वीप से कोरोना वायरस संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है।’ कड़ी शर्तों के साथ ही 36 वर्ग किलोमीटर के इस द्वीप पर प्रवेश मिल सकता है। वह चाहे आम आदमी हो, अधिकारी या जनप्रतिनिधि- उन्हें कोच्चि में सात दिन क्वारंटीन रहने समेत कई और जरूरी ऐहतियाती तरीकों को अपनाना ही होगा।
लक्षद्वीप में बदस्तूर खुल रहे हैं स्कूल-कॉलेज
कोच्चि ही एक मात्र पॉइंट है जहां से पानी के जहाज या हेलिकॉप्टर के जरिए द्वीप तक जाया जा सकता है। फैजल ने कहा कि द्वीप पर लोगों के लिए कोविड-19 से जुड़ी कोई पाबंदियां लागू नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘न मास्क, न सैनिटाइजर…क्योंकि यह एक हरित क्षेत्र है। लक्षद्वीप एक मात्र जगह है जहां स्कूल खुले हैं और क्लासेस चल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 सितंबर से स्कूलों को खोलने की इजाजत दे दी थी।’
शादी-ब्याह और अन्य आयोजन भी हो रहे हैं
सांसद ने कहा, ‘लक्षद्वीप में ये सब सामान्य है। धार्मिक और विवाह संबंधी सभी आयोजन सामान्य रूप से हो रहे हैं। यहां सब कुछ सामान्य है।’ देश का सबसे छोटा केंद्र शासित क्षेत्र लक्षद्वीप 32 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले 36 द्वीपों का एक द्वीपसमूह है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 64,000 थी।
साभार : नवभारत टाइम्स