प्रधानमंत्री ने कहा, 21वीं सदी के युवाओं की आकांक्षाओं को दर्शाती है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

प्रधानमंत्री ने कहा, 21वीं सदी के युवाओं की आकांक्षाओं को दर्शाती है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2020 के ग्रैंड फिनाले को संबोधित किया। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के ग्रैंड फिनाले में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्र देश के सामने आने वाली चुनौतियों के कई समाधानों पर काम कर रहे हैं। समस्याओं के समाधान देने के साथ ही यह डाटा, डिजिटलीकरण और हाई-टेक भविष्य को लेकर भारत की आकांक्षाओं को भी मजबूत करता है। उन्होंने स्वीकार किया कि तेजी से बदलती 21वीं सदी में भारत को अपनी वही प्रभावी भूमिका निभाने के लिए उतनी ही तेजी से खुद को भी बदलना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में नवाचार, अनुसंधान, डिजाइन, विकास और उद्यमिता के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका उद्देश्य भारत की शिक्षा को और अधिक आधुनिक बनाना है और प्रतिभाओं के लिए अवसर पैदा करना है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे 21वीं सदी के युवाओं की सोच, जरूरतों, उम्मीदों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक नीति दस्तावेज नहीं है बल्कि 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब भी है। उन्होंने कहा, ‘आज भी कई बच्चों को लगता है कि उन्हें ऐसे विषय के आधार पर आंका जाता है, जिसमें उनकी कोई रुचि नहीं है। माता-पिता, रिश्तेदारों, दोस्तों आदि के दबाव के कारण बच्चे दूसरों के द्वारा चुने गए विषयों को ही पढ़ने के लिए मजबूर होते हैं। इसका परिणाम यह है कि एक बड़ी आबादी जो अच्छी तरह से शिक्षित तो है लेकिन अधिकांश जो उन्होंने पढ़ा है, उनके लिए उपयोगी नहीं है।’ उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत की शिक्षा प्रणाली में एक व्यवस्थित सुधार लाकर इस दृष्टिकोण को बदलने का प्रयास करती है और शिक्षा के उद्देश्य और सामग्री दोनों को बदलने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि एनईपी सीखने, अनुसंधान और नवाचार पर फोकस करती है साथ ही स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के अनुभव को लाभदायक, व्यापक और ऐसा बनाने का विचार है, जो छात्र की स्वाभाविक रुचि का मार्गदर्शन कर सके।

छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह हैकाथॉन पहली समस्या नहीं है, जिसका समाधान निकालने की आपने कोशिश की है, न ही यह आखिरी है।’ उन्होंने युवाओं को तीन चीजें करने की सलाह दी: सीखना, सवाल पूछना और समाधान करना। उन्होंने कहा कि जब कोई सीखता है तो उसके पास सवाल करने की बुद्धि आती है और भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस भावना को दर्शाती है। उन्होंने आगे कहा कि फोकस स्कूल बैग के बोझ से हटाकर, जो स्कूल के बाद नहीं रहता है, सीखने के फायदे की तरफ बढ़ना है- जो जीवन में काम (याद करने से लेकर महत्वपूर्ण सोच तक) आती है।

अंत:विषय अध्ययन पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंत:विषय अध्ययन पर जोर नई शिक्षा नीति की सबसे रोमांचक विशेषताओं में से एक है। यह अवधारणा लोकप्रियता हासिल कर रही है क्योंकि एक ही साइज सबके लिए फिट नहीं होती है। उन्होंने कहा कि अंत:विषय अध्ययन पर जोर देने से यह सुनिश्चित होगा कि फोकस उस पर हो जो विद्यार्थी पढ़ना चाहता है, उस पर नहीं जो समाज उससे अपेक्षा करता है।

शिक्षा तक पहुंच

बाबा साहब अंबेडकर की बात का जिक्र करते हुए कि शिक्षा सभी के लिए सुलभ होनी चाहिए, पीएम ने कहा कि यह शिक्षा नीति भी उनके सुलभ शिक्षा के विचारों को समर्पित है। प्राथमिक शिक्षा से शुरू होकर शिक्षा तक पहुंच को लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति बड़ी है। उन्होंने कहा कि नीति का लक्ष्य उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 2035 तक बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना है। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में नौकरी चाहने वालों की बजाय नौकरी देने वाले तैयार करने पर जोर दिया गया है। यानी एक तरह से यह हमारी मानसिकता और हमारे दृष्टिकोण में सुधार लाने की कोशिश है।

स्थानीय भाषा पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने और विकसित करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि छात्रों को अपने शुरुआती वर्षों में अपनी भाषा में सीखने से लाभ होगा। उन्होंने आगे कहा कि नई शिक्षा नीति दुनिया का समृद्ध भारतीय भाषाओं से भी परिचय कराएगी।

वैश्विक एकीकरण पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैसे तो नीति लोकल (स्थानीय) पर केंद्रित है, पर वैश्विक एकीकरण पर भी समान रूप से ध्यान दिया गया है। शीर्ष वैश्विक संस्थानों को भारत में परिसर खोलने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इससे भारतीय युवाओं को विश्वस्तरीय माहौल और अवसर प्राप्त करने में मदद मिलेगी, साथ ही उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने में भी मददगार होगा। इससे भारत में विश्व-स्तरीय संस्थानों के निर्माण में भी मदद मिलेगी, जिससे भारत वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनकर उभरेगा।

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