डॉ. हर्षवर्धन ने तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक में कोविड-19 के प्रबंधन की तैयारियों और नियंत्रण उपायों की समीक्षा की

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नई दिल्ली : केन्‍द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा जैसे राज्यों पर केन्द्रित बैठकों की श्रृंखला को जारी रखते हुए तीन राज्‍यों में कोविड-19 से उत्‍पन्‍न स्थिति और इसके प्रबंधन के लिए किए जा रहे कार्यों और तैयारियों का जायजा लेने के लिए आज तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री डा. सी. विजयभास्‍कर, तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री श्री इतेला राजेन्‍द्र और कर्नाटक के चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक में स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे और केन्‍द्र और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

डॉ. हर्षवर्धन ने देश में कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने में सभी के समर्पण की शुरुआत में सराहना की। उन्होंने देश में वर्तमान स्थिति और केन्‍द्र द्वारा कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए अब तक उठाए गए कदमों के बारे में राज्यों को सूचित किया। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी कोविड-19 के लिए अधिक प्रभावी रोकथाम योजना, निगरानी, ​​संपर्क का पता लगाने और स्क्रीनिंग को लागू करने के लिए सभी संबंधित मंत्रालयों / विभागों की निरंतर निगरानी और मार्गदर्शन कर रहे हैं।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए उचित उपाय किए जा रहे हैं और केन्‍द्र और राज्यों दोनों के सहयोगपूर्ण प्रयासों से, पर्याप्त संख्या में समर्पित कोविड अस्पतालों, एकांतवास और आईसीयू बिस्‍तरों और क्‍वारंटाइन की पहचान की गई है और उन्‍हें विकसित किया गया है, हम कोविड-19 के कारण किसी भी संभावित घटना का सामना करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं।” उन्होंने कहा कि राज्यों /संघ शासित प्रदेशों /केन्‍द्रीय संस्थानों को पर्याप्त संख्या में मास्क और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, वेंटिलेटर आदि प्रदान करके केन्‍द्र भी सहायता कर रहा है।

राज्यों में कोविड-19 के मामलों की स्थिति और राज्यों में इसके प्रबंधन पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति के बाद डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “राज्यों को मृत्‍यु दर कम रखने के लिए अधिक प्रभावी निगरानी, ​​सम्‍पर्क का पता लगाने और प्रारंभिक निदान पर ध्यान देने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा, ”सांस लेने संबंधी अत्‍यधिक गंभीर संक्रमणों (एसएआरआई) / इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) की निगरानी अप्रभावित जिलों और उन जिलों में तेज की जानी चाहिए, जिन्होंने मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के सहयोग से आईडीएसपी नेटवर्क के जरिये पिछले 14 दिन और अधिक समय से मामलों की जानकारी नहीं दी है। उन्होंने कहा कि इस तरह के उपाय प्रारंभिक अवस्था में किसी भी संभावित छिपे हुए संक्रमण की उपस्थिति का संकेत देने में मदद करेंगे, जिससे इसके समय पर नियंत्रण में मदद मिलेगी।”

डॉ. हर्षवर्धन ने जोर देकर कहा कि राज्यों को स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को संक्रमण से बचाने / उसकी संभावना कम करने के लिए सभी स्वास्थ्य देखभाल केन्‍द्रों में संक्रमण, रोकथाम और नियंत्रण (आईपीसी) कार्य प्रणाली अपनाने की आवश्यकता है। राज्यों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई थी कि सभी केन्‍द्रीय दिशानिर्देश / परामर्शों को जमीनी स्‍तर पर गंभीरता से लागू किया जाए।” राज्यों ने जिला स्‍तर पर अपनाई गई कुछ सर्वश्रेष्‍ठ कार्य प्रणालियों के बारे में जानकारी दी जैसे चलती-फिरती जांच प्रयोगशालाओं की तैनाती और नियंत्रण वाले क्षेत्रों में 2 महीने पहले से गैर संचारी रोगों के लिए दवाओं का वितरण, मलिन बस्तियों में ब्‍लीचिंग पाउडर की घर पर डिलीवरी और ओपीडी के विकल्‍प के रूप में टेली-मेडिसिन का उपयोग आदि। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने जिला मजिस्ट्रेटों / आयुक्तों और विभिन्न जिलों के अन्य अधिकारियों द्वारा साझा की गई सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों जैसे आवश्‍यक सेवाओं के वितरण के लिए सामुदायिक स्‍वयं सेवियों की पहचान, व्‍यवहार संबंधी बदलाव की जानकारी के बारे में जागरूकता पैदा करने (बीसीसी) संबंधी गतिविधियां, ग्रामीण इलाकों में गर्भवती महिलाओं के एएनसी के लिए मोबाइल इकाइयों की तैनाती, गैर संचारी रोगों से पीडि़त उम्रदराज मरीजों की स्‍क्रीनिंग और उपचार आदि की सराहना की।

डॉ. हर्षवर्धन ने राज्य सरकारों द्वारा किए गए कार्यों और अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए निवारण, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, पुलिस और अर्धसैनिक कर्मियों के कार्यों की सराहना की जो राष्ट्र हित में अपनी ड्यूटी से अधिक काम कर रहे हैं। उन्होंने राज्यों को याद दिलाया कि आवश्यकता पड़ने पर उन्‍हें जांच के साथ-साथ निवारक दवाएं और प्रतिरक्षा बूस्टर प्रदान किए जाएं।

राज्यों के लिए दोहराया गया कि टीकाकरण अभियान, टीबी के मामलों का पता लगाने और उपचार, डायलिसिस रोगियों के लिए ब्‍लड ट्रांसफ्यूजन, कैंसर रोगियों के उपचार, गर्भवती महिलाओं की एएनसी आदि के लिए गैर-कोविड ​​आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भी कहा गया कि आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और तंदुरूस्‍ती केन्‍द्रों का उपयोग उच्च रक्तचाप, मधुमेह और तीन प्रकार के कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए किया जा सकता है। लॉकडाउन को देखते हुए बड़ी आबादी के लिए टेलीमेडिसिन और टेली-काउंसलिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है। राज्यों को आवश्यक दवाओं का पर्याप्त स्टॉक रखने की सलाह दी गई है। राज्यों को यह भी सूचित किया गया कि 1075 के अतिरिक्त हेल्पलाइन नंबर 104 का उपयोग गैर-कोविड ​​आवश्यक सेवाओं के शिकायत निवारण के लिए किया जा सकता है, और इन सेवाओं की उपलब्धता के बारे में सूचित करने के लिए, वेक्टर बोर्न रोगों की रोकथाम के लिए पर्याप्त उपाय भी किए जाने चाहिए।

डॉ. हर्षवर्धन ने तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक के विभिन्न जिलों के डीएम से भी बात की और जिलों में कोविड-19 की स्थिति और प्रबंधन के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की बैठकें अधिक सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करने में मदद करेंगी और खाइयों को पाटने और मुद्दों को अधिक बारीकी से और स्पष्ट रूप से समझने में मदद करेंगी।

बैठक में स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय में सचिव सुश्री प्रीति सूदन, मंत्रालय में ओएसडी श्री राजेश भूषण, एनएचएम में एएस और एमडी सुश्री वंदना गुरनानी, मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव डॉ. मनोहर अगनानी, एनसीडीसी निदेशक डॉ. एस.के. सिंह और राज्‍य के अन्‍य वरिष्‍ठ स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों ने हिस्‍सा लिया।

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