नियमित होंगी दिल्ली की अवैध कॉलोनियां: केंद्र

नियमित होंगी दिल्ली की अवैध कॉलोनियां: केंद्र
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नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने दिल्ली के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय में दिल्ली की अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के प्रस्ताव पर मुहर लग गई है। इससे यहां रह रहे 40 लाख लोगों को ऑनरशिप का अधिकार मिल जाएगा। इन कॉलोनियों में रह रहे लोग लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। केंद्र सरकार के इस फैसले को दिल्ली के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

झुग्गीवालों को मिलेगा मालिकाना हक
शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि झुग्गीवासी जहां भी रहते हैं वह चाहे निजी हो या सरकारी उसका मालिकाना हक उन्हें देने का फैसला किया गया है। 1947 में दिल्ली की जनसंख्या 8 लाख थी बंटवारे के बाद यहां बड़ी संख्या में रिफ्यूजी आए। आज एनसीआर की जनसंख्या 2 करोड़ है। 2008 में इसके लिए आखिरी बार प्रयास किया गया था।

मामूली रेट पर रजिस्ट्रीपुरी ने कहा कि ऑनरशिप मिलने के बाद इन कॉलोनियों को विकास होगा। उन्होंने कहा कि इसके बाद सड़कें बनेंगी, सीवर बनेगा, पार्क बनेगा। उन्होंने कहा कि बेहद मामूली रेट पर जमीन की रजिस्ट्री होगी। पुरी ने कहा कि इस फैसले को जल्दी से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार संसद के अगले सत्र में बिल लाएगी। जैसे ही बिल पास होगा डीडीए इसपर काम करना शुरू कर देगी।

सरकार के 100 दिन के एजेंडे में था मुद्दा
बता दें कि दिल्ली की 1797 अनधिकृत कॉलोनियों में रह रहे लोगों के लिए यह बड़ी राहत है। केंद्र सरकार लंबे समय से इन कॉलोनियों को नियमित करने की तैयारी कर रही थी। मोदी सरकार ने भी अपने 100 दिन के एजेंडे में इस मुद्दे को प्रमुखता से रखा था।

उपराज्यपाल की कमिटी ने तैयार किया था नोट
बुधवार को शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से रखे गए नोट को उपराज्यपाल की अगुवाई वाली कमिटी ने तैयार किया था। इस कमिटी के गठन के समय सरकार ने कहा था कि कमिटी उन उपायों को सुझाएगी, जिनके जरिए इन कॉलोनियों में रहने वालों को मालिकाना हक दिया जा सके।

सम्पन्न कॉलोनियों पर सस्पेंस
हालांकि कैबिनेट मीटिंग में दिल्ली की तीन सम्पन्न कॉलोनियों को नियमित करने को लेकर अभी सस्पेंस बना हुआ है। ये कॉलोनियां अनंत राम डेयरी, महेंद्रू ऐन्क्लेव और सैनिक फॉर्म हैं। सरकार अभी इन कॉलोनियों को नियमित करने को लेकर किसी जल्दबाजी में नहीं है। इसके अलावा इसमें उन कॉलोनियों को लेकर भी कोई फैसला नहीं हुआ है, जो वन्य जमीन पर बनी हैं।

Source: National

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