भूटानी नरेश का भारत दौरा से दोनों देशों के बीच रिश्तों को मिलेगी और मजबूती
नई दिल्ली :चीन के साथ दो महीने से ज्यादा दिन तक चले डोकलाम विवाद सुलझने के बाद भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक भारत दौरा टाइमिंग के लिहाज से अहम माना जा रहा है। इसे भारत की दक्षिण एशिया की कूटनीति के नजरिए से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। डोकलाम विवाद के कारण चीन और भारत में काफी तनातनी चली थी। बाद में अगस्त में दोनों देश विवादित क्षेत्र से सेना हटाने पर समहत हुए थे।
तीन दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरे में भूटान और भारत के रिश्तों में और मजबूती आने की उम्मीद है। दोनों देशों के बीच रिश्तों की मजबूती को इसी से समझा जा सकता है कि जब डोकलाम में चीनी फौजों ने सड़क निर्माण शुरू किया तो भारतीय फौजों ने भूटान की सेना का साथ दिया था। भारत ने डोकलाम में यथास्थिति पर जोर देते हुए चीन के निर्माण का कड़ा विरोध किया था।
सूत्रों के अनुसार बुधवार को पीएम मोदी के साथ वांग्चुक के साथ बातचीत के दौरान चीन ही बातचीत का मुख्य मुद्दा रहा। वार्ता के दौरान भारत द्वारा भूटान के विकास के लिए दिए जाने मदद पर भी चर्चा हुई। पीएम मोदी ने बुधवार को शाही जोड़े के लिए भोज का भी आयोजन किया था।
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वित्त मंत्री अरुण जेटली भी अलग-अलग भूटान नरेश से मिलेंगे। भारत ने भी भूटानी नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक की यात्रा को खासा महत्व दिया है। खुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हवाईअड्डे पर नरेश और उनकी पत्नी की आगवानी के लिए पहुंची थीं।
भूटान और भारत दोनों ही अपने रिश्तों में मजबूती के लिए एक-दूसरे की मदद को आगे आ रहे हैं। सुरक्षा के मसले पर भूटान को नई दिल्ली की जरूरत है वहीं, भारत को भी चीन को काउंटर करने के लिए थिंपू की जरूरत है। बुधवार को राष्ट्रपति कोविंद ने भी डोकलाम मसले पर भूटानी नरेश की मदद के लिए उनका आभार जताया था।